ओवैसी ने कहा कि चीन से लगी भारत की सीमा पर भूमि कथित रूप से खोने पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र आहूत किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह लीक हो गया था कि चीन बात करना चाहता था। आधिकारिक तौर पर, विदेश मंत्रालय को प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग की बातचीत के बाद बयान देना चाहिए था कि ये बातचीत हुई थी। चीनी विदेश मंत्रालय का कहना है कि प्रधानमंत्री बातचीत करना चाहते थे। बाद में विदेश सचिव कुछ और कहते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति के बीच जोहानसबर्ग में बातचीत के दो दिन बाद, भारत और चीन ने इस बारे में शुक्रवार को अलग-अलग विचार पेश किए कि किस पक्ष ने बातचीत का अनुरोध किया था। भारतीय सूत्रों ने कहा कि द्विपक्षीय बैठक को लेकर चीनी पक्ष की ओर से एक अनुरोध लंबित है। इससे कुछ घंटे पहले चीनी पक्ष ने मोदी-शी के बीच हुई वार्ता का ब्योरा जारी करते हुए कहा था कि भारत के अनुरोध पर यह बातचीत हुई।
ओवैसी ने इस घटनाक्रम की ओर इशारा करते हुए कहा कि वह भाजपा से पूछना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री बातचीत के लिए चीनी राष्ट्रपति के पीछे क्यों भाग रहे हैं। ओवैसी ने पूछा कि लद्दाख सीमा पर जो हो रहा है, उस पर प्रधानमंत्री देश को अंधेरे में क्यों रख रहे हैं?
उन्होंने पूछा कि क्या कारण है कि मोदी सरकार हमारी बहादुर सेना पर कोई समाधान स्वीकार करने के लिए दबाव डाल रही है। ओवैसी ने कहा कि देश की बहादुर सेना पिछले 40 महीने से ऊंचे पहाड़ों पर चीन की सेना का सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर देश ने अपना क्षेत्र खो दिया है और अगर भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार 'चीन के सामने झुक रही है' तो यह शर्मनाक होगा।