चीन भारत की सीमाओं में घुसपैठ कर दादागिरी तो दिखा ही रहा है, लेकिन अब देश के मानसरोवर यात्रियों पर भी दादागिरी पर उतर गया है। इसी का आलम है कि कैलाश मानसरोवर यात्रियों को चीन में नौ दिनों तक फोन पर बात नहीं करने दी गई। उनके वीडियो कैमरे छीन लिए गए। इस दौरान सभी यात्रियों का घरों से संपर्क टूटा रहा। यह कहना है 22 दिनों की मानसरोवर यात्रा कर हल्द्वानी पहुंचे दल का।
तिब्बत में स्थित कैलाश पर्वत की यात्रा के लिए हर साल यात्रियों का दल यहां से रवाना होता है। जो दुर्गम पहाड़ियों से होकर पहुंचता है। इस बार कैलाश मानसरोवर यात्रा के पहले दल में शामिल हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणी, मायाराम शर्मा, दिल्ली के व्यवसायी वैभव श्रीवास्तव, एचआरडी मंत्रालय दिल्ली में कार्यरत जितेन्द्र घई ने कहा कि प्रत्येक यात्री द्वारा करीब डेढ़ लाख रुपए खर्च के बावजूद बदइंतजामी और चीनी अधिकारियों के व्यवहार ने उन्हें काफी दुखी किया। यात्रियों का कहना था कि तकलाकोट पहुंचने पर उन्हें रिसीव करने चीन का कोई अधिकारी नहीं पहुंचा। दो घंटे तक बस में भूखा-प्यासा बैठाए रखा। नौ दिनों तक चीन में रहे यात्रियों को एक भी दिन भारत में बात नहीं करने दी गई।
स्वामी चक्रपाणी ने बताया कि मुश्किल यात्रा के दौरान जब यात्री खच्चरों से गिरकर घायल हो रहे थे तो चायनीज हैडलर मदद करने के बजाय हंस रहे थे। इतना ही नहीं चीन की आर्मी ने यात्रा दल में शामिल दिल्ली राज्यसभा के रिपोर्टर प्रशांत का वीडियो कैमरा भी छीन लिया।
उन्होंने बताया कि तकलाकोट तक चीन ने चौड़ी सड़कें बना दी हैं, जबकि भारत को चायना सीमा तक पहुंचने के लिए पैदल मार्ग से अब भी कई दिन लग रहे हैं। उन्होंने बताया कि तमाम दिक्कतों को लेकर हिन्दू महासभा का प्रतिनिधिमंडल 9 जुलाई को दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात कर इन समस्याओं को उनके सामने रखा जाएगा।