के वरिष्ठ नेता जसवंतसिंह ने राजग शासन के दौरान 2003 में हेलीकॉप्टर खरीद के मानदंडों में बदलाव किए जाने के फैसले को सही बताते हुए गुरुवार को दावा किया कि ऐसा विशुद्ध रूप से व्यावसायिक कारणों से किया गया था, जिससे कि इसे सौदे को प्रतिस्पर्धात्मक बनाया जा सके।
राजग सरकार में रक्षामंत्री रह चुके सिंह ने कहा कि यह सही है कि उस समय तकनीकी मानदंड में बदलाव किया गया था, लेकिन इसे लेकर हो रहे हो-हल्ले की कोई वजह नहीं है क्योंकि ऐसा अच्छे कारणों के लिए किया गया था।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 में मूल प्रस्ताव आया और वायुसेना ने कहा कि अतिविशिष्ट व्यक्तियों की आवाजाही के लिए खरीदे जाने वाले इन हेलीकॉप्टरों की 18000 फुट उंचे तक उड़ सकने की क्षमता होनी चाहिए, लेकिन जब यह प्रस्ताव सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति में आया तो तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्र ने सही सुझाव दिया कि एकल विक्रेता प्रस्ताव उचित नहीं रहेगा। उस समय केवल एक ही कंपनी 18000 फुट तक की ऊंचाई तक उड़ने वाले हेलीकॉप्टर बनाती थी।
पूर्व वायुसेना प्रमुख पर मत लगाओ आरोप : सिंह ने कहा कि मिश्र ने ऐसा करके कुछ गलत नहीं किया था। पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी पर लगाए जा रहे आरोपों पर जसवंतसिंह ने कहा कि हमें पूर्व वायुसेना प्रमुख पर अनर्गल आरोप नहीं लगाने चाहिए। यह वायुसेना और देश दोनों के हित में नहीं है। जांच चल रही है। त्यागी खुद कह रहे हैं कि जांच जल्द से जल्द होनी चाहिए। आप उनके सुझाव को क्यों नहीं मान रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मुझे दुख इस बात का है कि इस तथ्य को भुलाया जा रहा है कि इस मामले में दोषी इतालवी कंपनी है। हमें सच्चाई को जानना चाहिए और उसके बाद एक-दूसरे पर आरोप लगाने चाहिए।
मामले की व्यापक जांच हो : भाजपा के अध्यक्ष राजनाथसिंह ने कहा कि मामले की व्यापक जांच होनी चाहिए जिससे कि सारी सच्चाई सामने आ सके। उन्होंने कहा कि हम आंशिक जांच के पक्ष में नहीं हैं। हम मुकम्मल जांच चाहते हैं, ताकि जो लोग इस घोटाले के लिए जिम्मेदार हैं उनके चहरे सामने आ सकें।
उधर भाजपा के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने मांग की कि इतालवी कंपनी से हेलीकॉप्टर खरीद में कथित रिश्वत खाने के मामले की जांच उच्चतम न्यायालय की देखरेख में होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस घोटाले की जांच के सही नतीजे तभी सामने आएंगे जब उच्चतम न्यायालय की देखरेख में सारे मामले की समयबद्ध तरीके से तहकीकात कराई जाए। ऐसा नहीं होने पर मामले की लीपापोती ही होगी।
आरोप हैं कि इतालवी कंपनी ने 36 हजार करोड़ रुपए के इस सौदे में 362 करोड़ रुपए रिश्वत के रूप में दिए। इसमें त्यागी का नाम भी लिया जा रहा है, लेकिन उन्होंने इसका पुरजोर खंडन करते हुए मामले की जल्द से जल्द जांच कराने की मांग की है। सरकार सीबीआई से जांच कराने के आदेश दे चुकी है। (भाषा)