...तो भारत में भी होंगे मिस्र जैसे हालात-अन्ना हजारे

बुधवार, 17 जुलाई 2013 (22:08 IST)
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इंदौर। भ्रष्टाचार के खिलाफ देश में अलख जगाने वाले समाजसेवी अन्ना हजारे ने बुधवार को कहा कि यदि हमारी सरकारें नहीं सुधरीं और लोगों का धैर्य जवाब दे गया तो कोई बड़ी बात नहीं कि मिस्र जैसे हालात भारत में भी बन सकते हैं

दरअसल, अन्ना से पूछा गया कि क्या भारत में मिस्र जैसा आंदोलन हो सकता है? इस पर अन्ना ने कहा कि हमारा एक-एक कदम उसी तरफ बढ़ रहा है। हालांकि हमारे देश की संस्कृति अलग है, यहां के लोग सहनशील हैं। हमारा देश हमेशा ‍अहिंसा के मार्ग पर ही चला है, किन्तु सीमा पार हुई तो कोई बड़ी बात नहीं मिस्र जैसी स्थिति हमारे यहां भी हो सकती है।

उन्होंने सवाल किया कि नक्सलवाद क्यों बढ़ रहा है, क्योंकि सरकार जो काम करना चाहिए वह समय पर नहीं करती। अन्ना ने कहा कि देश में कभी न कभी बड़ी क्रांति होगी, लेकिन हम चाहते हैं कि यह क्रांति हिंसक नहीं, अहिंसक होनी चाहिए।

न चुनाव लड़ेंगे, न वोट मांगेंगे : हजारे ने कहा कि जनतंत्र मोर्चे के बैनर तले निकल रही जनतंत्र यात्रा का उद्देश्य देश और समाज के लोगों में जागृति लाना है। मोर्चे का काम न तो चुनाव लड़ना है और न ही किसी पार्टी का समर्थन करना या वोट मांगना। मोर्चा समाज और देश के हित में हमेशा संघर्ष करता रहेगा।

उन्होंने कहा कि देश में आज जनतंत्र नहीं है, है तो सिर्फ पार्टी तंत्र, सरकार तंत्र और अधिकारी तंत्र। आजादी के लिए लाखों लोगों ने बलिदान दिया। उनका उद्देश्य था, अंग्रेजों को भगाना और देश में लोकतंत्र लाना। अंग्रेज तो चले गए, लेकिन जनतंत्र आना बाकी है। उन्होंने कहा कि वे केजरीवाल की आम आदमी पार्टी का भी समर्थन नहीं करेंगे।

संसद में लुटेरे और व्यभिचारी : वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था से दुखी अन्ना हजारे ने कहा कि संसद और विधानसभाओं में गुंडे, लुटेरे, व्यभिचारी लोग बैठे हुए हैं। संसद में 163 जनप्रतिनिधि दागी हैं। 35 में से 15 मंत्रियों पर भ्रष्टाचार समेत विभिन्न आरोप लगे हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या होगा इस देश का?

उन्होंने कहा कि देश की संसद से बड़ी जन संसद है। अत: लोगों को संगठित होकर सु‍निश्चित करना चाहिए कि चरित्रवान लोग ही संसद और विधानसभाओं में पहुंचें। तभी सच्चे मायने में जनतंत्र आएगा। हालांकि इसमें वक्त लगेगा। जनता अपनी शक्ति को भूल गई है और हम उसे याद दिलाने के लिए ही यह यात्रा निकाल रहे हैं।

फिर जाऊंगा रामलीला मैदान : अन्ना हजारे ने कहा कि सरकार और प्रधानमंत्री के आश्वासन के बावजूद जनलोकपाल तैयार नहीं हो पाया। इस बात को दो साल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो आगामी अक्टूबर से लेकर दिसंबर तक मैं फिर रामलीला मैदान जाऊंगा और एक बार फिर लोगों के बीच अलख जगाऊंगा।

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जनता की सहभागिता जरूरी : अन्ना हजारे ने कहा कि पंजाब के जलियांवाला बाग से शुरू हुई जनतंत्र यात्रा हरियाणा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में अपना सफर तय कर चुकी है। उन्होंने कहा कि देश में कोई कानून बनाने के लिए लोगों की सहभागिता जरूरी है।

उन्होंने कहा कि कानून संसद में बनते हैं, कानून का ड्राफ्ट समाज के विशेषज्ञ लोगों की सहमति से बनना चाहिए, यही असल जनतंत्र है। लेकिन मसौदा भी सरकार बनाती है, कानून भी सरकार बनाती है, यहां जनतंत्र कहां है? उन्होंने कहा कि जनता का पैसा कहां खर्च होता है? क्या काम हुए? इसकी जानकारी जनता को होना जरूरी है, लेकिन यह जानकारी होती नहीं है।

प्रधानमंत्री इस्तीफा दें : अन्ना हजारे ने कहा कि प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह को पद पर बने रहने का अधिकार ही नहीं है। कोयला घोटाला मामले में उन्हें तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरा विरोध किसी खास पार्टी को लेकर नहीं है। मेरा काम सिर्फ समाज के लिए है। नेताओं द्वारा विरोध किए जाने के मुद्दे पर अन्ना ने कहा कि 'सच बोलो तो सगी मां को भी गुस्सा आ जाता है'।

जनता चुने प्रधानमंत्री : गांधीवादी समाजसेवी ने कहा कि प्रधानमंत्री किसी पार्टी का नहीं जनता द्वारा चुना जाना चाहिए। प्रधानमंत्री राहुल गांधी बनें या फिर नरेन्द्र मोदी, इससे कुछ नहीं होने वाला। उन्होंने उम्मीद जताई कि जनतंत्र मोर्चे के संघर्ष का परिणाम अच्छा होगा क्योंकि आजादी भी लंबे संघर्ष के बाद ही मिली थी।

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