पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम की स्थिति को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार ने राज्य को संविधान के अनुच्छेद 355 की तर्ज पर स्थिति सामान्य करने के लिए लिखित तौर पर पाँच निर्देश दिए हैं।
नंदीग्राम पर लोकसभा में लगभग साढ़े छह घंटे तक चली चर्चा का जवाब देते हुए गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने कहा कि अनुच्छेद 355 के तहत निर्देश देने के विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी के सुझाव पर मैं यह बताना चाहूँगा कि हमने उसकी तर्ज पर कुछ लिखित निर्देश राज्य सरकार को दिए हैं।
उन्होंने बताया कि इन निर्देशों में कहा गया है कि नंदीग्राम छोड़कर गए लोगों को घर वापस लौटाना होगा और उन्हें पूरा संरक्षण देना होगा। मोटरसाइकिल से घूमकर किसी को डराने की अनुमति नहीं हो, पीड़ितों को समुचित मुआवजा दिया जाए और राज्य में शांतिपूर्ण क्षेत्रों में मौजूद सुरक्षा बलों को तैनात किया जाए।
गठबंधन की मजबूरियों के बावजूद नंदीग्राम की घटनाओं पर कड़ा रुख अपनाते हुए पाटिल ने कहा कि वहाँ व्याप्त भय की भावना सबसे बड़ी बात है। उन्होंने कहा ऐसी भावना अच्छी बात नहीं है। राज्य सरकार इस भय की भावना को दूर करने के लिए कदम उठाए इसमें केंद्र उसके साथ होगा।
कुछ सदस्यों द्वारा जवाब के वक्त स्पष्ट रूप से बात रखने की टिप्पणी पर पाटिल ने पूरी गंभीरता बरतते हुए कहा कि कहने का अपना अपना तरीका होता है। आप गाली से यह बात कहते हो। हम सभ्य भाषा से। उन्होंने कहा कि नंदीग्राम छोड़ने पर मजबूर हुए लोगों को लौटाया जाए उनके खेत और नौकरियाँ सुरक्षित रहें।
गृहमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रभावित लोगों के लिए एक लाख रुपए के मुआवजे की घोषणा की है, जिसे अविलम्ब दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र भी सुरक्षा से जुड़े मामलों में एक लाख रुपए तक की मदद करता है और अदालत ने भी मुआवजा देने को कहा है।
उन्होंने कहा कि किसी बहन के साथ यदि कुछ हुआ है तो मुआवजे से उसकी भरपाई नहीं हो सकती फिर भी अधिक से अधिक मदद का प्रयास किया जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी ताकीद की कि ऐसा करते वक्त पार्टी धर्म भाषा और विचार को ध्यान में नहीं रखा जाना चाहिए। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि ऐसा करें तो दायित्व पूरा होगा।
नंदीग्राम में स्थिति संभालने के लिए सीआरपीएफ उपलब्ध कराने में विलंब के माकपा के आरोपों पर पाटिल ने कहा कि दो बटालियन उनके पास पहले से थीं और हमने प्रशिक्षण से वापस बुलाकर भी बल उपलब्ध कराया। उन्होंने कहा कि स्थिति संभालने के लिए विभिन्न राज्यों को जो रिजर्व बल मुहैया कराए जाते हैं, वे उन्हें नहीं लौटाते जिससे समस्या होती है।
पाटिल ने कहा कि कुछ सदस्यों ने नंदीग्राम में माओवादियों की मौजूदगी का मामला उठाया है, लेकिन पूरी जानकारी के बावजूद पूरी जानकारी सदन में नहीं रखी जा सकती क्योंकि लाभ की बजाय हानि हो सकती है। उन्होंने हालाँकि कहा कि सूचना के मुताबिक कुछ लोगों ने वहाँ जाकर दंगे-फसाद भड़काने के प्रयत्न जरूर किए। हथियार लाने की भी कोशिश हुई।
गृहमंत्री ने समस्या की जड़ पर रोशनी डालने के प्रयास के तहत कहा कि पहले डर से जो लोग बाहर गए थे, उन्हें वापस ला दिया गया, लेकिन उनके आने बाद दूसरे लोग इस भय से पलायन कर गए कि पहले उन्होंने विरोध किया था, इसलिए लौटे लोग उनके लिए खतरा हैं। इस स्थिति की समीक्षा होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने सफाई दी कि वह किसी पर दोषारोपण नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने नंदीग्राम की स्थिति का विवरण देते हुए कहा कि वहाँ ऐसी स्थिति बन गई थी कि पुलिस नहीं जा सकती थी कोई सरकारी कर्मचारी नहीं जा सकता था। ऐसी स्थिति कब तक रह सकती है।
नंदीग्राम की स्थिति का जायजा लेने के लिए संसदीय प्रतिनिधिमंडल भेजे जाने की आडवाणी की माँग पर कोई आश्वासन देने की बजाय उन्होंने कहा कि इसके विभिन्न दलों से विचार विमर्श करना होगा।
इस बारे में राज्यपाल से रिपोर्ट तलब किए जाने के विपक्ष के नेता के सुझाव पर उन्होंने कहा कि राज्यपाल के बारे में सदन में चर्चा नहीं होनी चाहिए।