पृथ्वी-2 की परीक्षण उड़ान विफल

शुक्रवार, 24 सितम्बर 2010 (23:21 IST)
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भारत की स्वदेश निर्मित और परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम पृथ्वी-2 बैलेस्टिक मिसाइल शुक्रवार को उड़ीसा तट के चाँदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण स्थल (आईटीआर) से प्रायोगिक परीक्षण उड़ान भरने में विफल हो गई। इस विफल प्रक्षेपण के पीछे ‘निर्माण संबंधी त्रुटि’ की आशंका व्यक्त की जा रही है।

बहरहाल, शीर्ष रक्षा वैज्ञानकि डॉ. प्रह्लाद ने कहा कि उड़ान में विफलता के कारण चिंता करने की कोई बात नहीं है क्योंकि 350 किलोमीटर रेंज वाली इस मिसाइल की डिजाइन एवं अन्य दक्षताएँ साबित हो चुकी हैं।

नौ मीटर लंबी इस अत्याधुनिक मिसाइल को पहले ही सशस्त्र बल में शामिल किया जा चुका है। सशस्त्र बलों के लिए विशेष मकसद से कायम की गई सामरिक बल कमान ने मिसाइल की इस परीक्षण उड़ान को प्रायोगिक परीक्षण की तरह उपयोग करने की योजना बनाई थी।

गौरतलब है कि इस परीक्षण स्थल पर पिछले 12 महीने के दौरान जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल के पिछले चार प्रायोगिक परीक्षण सफल साबित हुए। अंतिम प्रायोगिक परीक्षण इस साल 18 जून को किया गया था।

रक्षा अनुसांधन एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रह्लाद ने नई दिल्ली में बताया कि चिंता की कोई बात नहीं है। इस प्रकार की मिसाइलों को बड़ी संख्या में बनाया गया है तथा सामरिक बल कमान परीक्षण स्थल से इनका परीक्षण करता रहता है।

डॉ. प्रह्लाद ने कहा कि यह संभव है कि विशिष्ट मिसाइल ने निर्माण संबंधी त्रुटि के कारण उड़ान न भरी हो। यह त्रुटि संभवत: इसलिए आ गई कि समन्वय की प्रक्रिया में कई एजेंसियाँ शामिल होती हैं। उन्होंने कहा कि मिसाल पहले ही परखी जा चुकी है और इसकी विश्वसनीयता के बारे में कोई संदेह नहीं है।

उन्होंने कहा कि मिसाइल में कोई ऐसा उपकरण हो सकता है, जो खराब हो गया हो। मिसाइल की डिजाइन और अन्य क्षमताएँ साबित हो चुकी हैं। रक्षा सूत्रों ने कहा कि अत्याधुनिक मिसाइल ‘तकनीकी समस्या’ के चलते परीक्षण स्थल के परिसर-3 से उड़ान नहीं भर सकी।

उन्होंने कहा कि पृथ्वी-2 या तो मुख्य मिसाइल में या फिर प्रक्षेपक सहित उपव्यवस्था में किसी समस्या के चलते उड़ान भरने में असफल हुई। सूत्रों ने कहा कि यह परीक्षण सशस्त्र बलों के प्रायोगिक परीक्षण के तहत किया जाना था।

आज के परीक्षण के दौरान रवानगी के निर्धारित समय पर प्रक्षेपण स्थल से धुआँ निकला और एक आवाज सुनी गई। सूत्रों ने बताया कि मिसाइल के उड़ान भरने में विफल होने के सही कारणों का पता लगाया जा रहा है और रक्षा वैज्ञानिक मामले का गहराई से अध्ययन कर रहे हैं। पिछले एक साल में देश में तीसरी बार मिसाइल का प्रक्षेपण विफल हुआ है। (भाषा)

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