सुषमा स्वराज का अगला पड़ाव वियतनाम

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नई दिल्ली। पड़ोसी देशों के साथ नजदीकियाँ बढ़ाने की मोदी सरकार की नीति के अगले चरण में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज आगामी 24 अगस्त को सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण वियतनाम की यात्रा पर जा रही हैं।

तीन दिवसीय इस यात्रा के दौरान वह वहां के विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय मंत्रणा के साथ साथ देश के शीर्ष नेताओं से भी मुलाकात करेंगी। साथ ही वह वहां दक्षिण एशिया तथा दक्षिण पूर्वी एशिया स्थित भारतीय मिशनों के 19 प्रमुखों के साथ बैठक भी करेंगी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने श्रीमती स्वराज की वियतनाम यात्रा की जानकारी देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच शानदार राजनैतिक रिश्ते हैं, हमे उम्मीद है कि विदेश मंत्री की वियतनाम यात्रा से दोनों देशों के बीच और भी उच्चस्तरीय यात्राओं और विचार-विमर्श का रास्ता बनेगा।'

गौरतलब है कि विदेश मंत्री की वियतनाम यात्रा अगले माह राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की वियतनाम यात्रा से ठीक पहले हो रही है। प्रवक्ता ने कहा कि दोनों देशों के बीच सुदृढ़ आर्थिक संबंध है। इस यात्रा के दौरान दोनों पक्ष उभयपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए विशेष रूप से चर्चा करेंगे।

सनद रहे कि दोनो देशों के बीच फिलहाल आठ अरब डॉलर का व्यापार होता है, जिसमे भारत वियतनाम को 5.8 अरब डॉलर का निर्यात करता है। उन्होंने कहा 'हमे उम्मीद है कि कपड़ा, फार्मास्युटिकल्स तथा कृषि उत्पाद के क्षेत्र में भी आपसी व्यापार और अधिक बढ़ेगा।

विदेश नीति के जानकारों के अनुसार श्रीमती स्वराज की वियतनाम यात्रा ऐसे समय हो रही है जबकि हाल ही में दक्षिण चीन सागर में वियतनाम ने तेल खनन के लिए भारत को दो ब्लॉक का पट्टा एक और साल के लिए बढ़ा दिया है।

विदेशी मामलों के एक जानकार के अनुसार यह यात्रा इसलिए भी अहम है क्योंकि दोनों देशों के बीच प्रगाढ़ सामरिक रिश्ते हैं और इन यात्राओं से आपसी समझबूझ को और ज़्यादा बढ़ाने में मदद मिलती है और यह निश्चय ही भारत की 'पूर्वोमुखी नीति' की भी परिचायक है।

वियतनाम यात्रा के दौरान श्रीमती स्वराज भारत-आसिआन विचारकों के तीसरे गोल मेज सम्मेलन का भी उद्घाटन करेंगी। वियतनाम यात्रा के फौरन के बाद वे 28-29 अगस्त को चीन यात्रा पर जा रही हैं।

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