चमकी बुखार से 108 बच्चों की मौत, गुस्से में लोग बोले- बिहार में बुखार है, नीतीश कुमार है

मंगलवार, 18 जून 2019 (15:41 IST)
बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार के कहर से अब तक 108 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि अपुष्ट जानकारी के मुताबिक मृत बच्चों की संख्‍या करीब 140 है। मंगलवार को भी डीएम ने 4 बच्चों की मौत की पुष्टि की है। एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) नामक इस बीमारी से मुजफ्फरपुर हाहाकार मचा हुआ है। बीमारी से भयभीत लोगों ने अपने घरों से पलायन शुरू कर दिया है।
 
हालात की गंभीरता का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) में एक बेड पर तीन-तीन बच्चे इलाज के लिए भर्ती हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार अस्पताल के दृश्य दिल दहलाने वाले हैं, जहां हर वार्ड से रोने-चीखने  की आवाजें सुनाई दे रही हैं। ऐसा भी कहा जा रहा है कि कई बच्चों की जान तो बच गई, लेकिन उनकी आंखों की रोशनी चली गई।
 
नीतीश का विरोध : दूसरी ओर मंगलवार को मुजफ्फरपुर में बच्चों का हालचाल लेने पहुंचे राज्य के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को विरोध का सामना करना पड़ा। गुस्साए लोगों ने नीतीश कुमार मुर्दाबाद, नीतीश कुमार वापस जाओ के नारे लगाए। दूसरी ओर बिहार में अब एक नारा जोर पकड़ रहा है, जिसमें कहा जा रहा है कि 'बिहार में बुखार है, नीतीश कुमार है'। 
 
दूसरी ओर नीतीश ने बच्चों के इलाज पर संतोष जताया है साथ ही मृत बच्चों के 54 परिवारों को 4-4 लाख रुपए की आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है। नीतीश ने डॉक्टरों से कहा है कि इस बुखार के लिए जिम्मेदार वायरस का पता लगाना होगा। बताया जा रहा है कि 400 बच्चे अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं। इनमें से 16 की हालत गंभीर है।
 
...और यह कुतर्क भी : बच्चों की मौत के बीच सांसद अजय निषाद ने विवादित बयान दिया है। निषाद के मुताबिक इस बीमारी की जड़ में 4G हैं। उनके मुताबिक गांव, गर्मी, गरीबी और गंदगी इस बीमारी की मुख्‍य वजह हैं। 
 
क्या हैं लक्षण : डॉक्टरों की मानें तो बच्चों में यह बीमारी सोडियम और ग्लू‍कोज की कमी से होती है। इलाज के नाम पर उन्हें सोडियम  और ग्लूकोज ही दिया जा रहा है। फिर भी बच्चे की स्वस्थ होने की कोई गारंटी नहीं होती। इस बुखार को लीची खाने से भी जोड़कर देखा जा रहा है, लेकिन आधिकारिक रूप से इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है।
 
बारिश बचाएगी बीमारी से : जानकारों की मानें तो इस बीमारी की मुख्‍य वजह मौसम है। 38 डिग्री से ऊपर तापमान और आर्द्रता 60-65 होती है तो इस बीमारी मामले सामने आने लगते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि जैसे ही बारिश होगी और तापमान में गिरावट होगी तो इस बीमारी के मामले थम जाएंगे।
 

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