उद्धव ठाकरे को लगेगा एक और झटका, 12 सांसद हो सकते हैं शिवसेना से अलग

Webdunia
बुधवार, 6 जुलाई 2022 (18:10 IST)
मुंबई। महाराष्ट्र में सत्ता गंवा चुके पूर्व मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक और झटका लग सकता है। शिंदे गुट में शामिल विधायक ने बुधवार को दावा किया कि 18 सांसदों में से 12 जल्दी ही एकनाथ शिंदे गुट में शामिल हो जाएंगे, जबकि शिवसेना के एक सांसद राष्ट्रपति चुनाव के लिए द्रौपदी मुर्मू के समर्थन की बात कह चुके हैं। इस बीच शिवसेना ने लोकसभा में अपने सचेतक को बदल दिया है।  
 
जलगांव जिले में अपने विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में विधायक गुलाब राव पाटिल ने कहा कि शिंदे गुट पार्टी का गौरव बहाल करेगा। पाटिल पूर्ववर्ती उद्धव ठाकरे सरकार में मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि हमारे (बागी गुट) पास 55 में से 40 विधायक हैं और 18 में से 12 सांसद हमारे साथ आ रहे हैं। फिर पार्टी किसकी हुई? मैंने 4 सांसदों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की है। हमारे साथ 22 पूर्व विधायक भी हैं।
 
शिवसेना के लोकसभा सदस्य राहुल शेवाले ने मंगलवार को उद्धव ठाकरे से आग्रह किया कि वह पार्टी के सांसदों से राष्ट्रपति पद की राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने के लिए कहें क्योंकि मुर्मू आदिवासी हैं और समाज में उनका काफी योगदान है। उद्धव ठाकरे गुट और एकनाथ शिंदे गुट के विश्वस्तों ने अपने-अपने समूह के असली शिवसेना होने का दावा किया है।
 
पाटिल ने कहा कि उन्होंने सत्ता के लिए पार्टी नहीं छो़ड़ी बल्कि सत्ता छोड़ी है जबकि हम मंत्री थे। उन्होंने कहा कि एक नहीं, बल्कि 8 मंत्रियों ने पार्टी छोड़ी, इसका मतलब है कि हम हमारी शिवसेना को बचाना चाहते हैं।
 
शिवसेना ने बदला सचेतक : उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने बुधवार को राजन विचारे को सांसद भावना गवली की जगह लोकसभा में पार्टी का मुख्य सचेतक नामित किया।
 
शिवसेना नेता संजय राउत ने संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी को लिखे पत्र में कहा कि आपको सूचित किया जाता है कि शिवसेना संसदीय दल ने राजन विचारे, सांसद (लोकसभा) को भावना गवली, सांसद (लोकसभा) के स्थान पर लोकसभा में तत्काल प्रभाव से मुख्य सचेतक नामित किया है। राउत शिवसेना संसदीय दल के नेता हैं।
 
गवली महाराष्ट्र में यवतमाल-वाशिम लोकसभा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं। वह शिवसेना के उन सांसदों में से एक हैं जिन्होंने सुझाव दिया था कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में विद्रोह के बीच शिवसेना को फिर से भाजपा के साथ गठबंधन कर लेना चाहिए।

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