नई दिल्ली। सोमवार को पद्म अलंकरण समारोह में कुछ ऐसा हुआ जो बीते 68 वर्षों में राष्ट्रपति भवन में कभी नहीं हुआ था। काशी के 126 वर्षीय बाबा शिवानंद की सादगी और देश के प्रति अगाध श्रद्धा मिसाल बन गई। पद्मश्री के लिए नाम की उद्घोषणा होने से लेकर राष्ट्रपति के आसन तक पहुंचने के बीच बाबा शिवानंद ने तीन बार नंदीवत प्रणाम किया।
प्रधानमंत्री की आसपास की कुर्सियों पर बैठे अन्य विशिष्टजन भी अपनी जगह पर खड़े हो गए। पीछे की कुर्सियों पर बैठे विशिष्टजन अपनी जगह पर खड़े होकर अचरज भरे भाव से यह देखने लगे। यह नजारा देख पूरा तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। प्रधानमंत्री के सामने झुक कर प्रणाम करने के बाद तालियों की गड़गड़ाहट के बीच बाबा चार कदम आगे रेड कार्पेट पर पहुंचे। वहां बाबा शिवानंद पुन: नंदीवत हुए।
यह प्रणाम भारत के स्वाभिमान के प्रतीक राष्ट्रपति के लिए था। इस प्रणाम के बाद तालियों की गड़गड़ाहट, गर्जना में बदल गई। अपने आप में खोए बाबा शिवानंद यहां से 12 कदम और चले। राष्ट्रपति के आसन के सामने बनी तीन सीढ़ियों में दूसरी पर चढ़ते ही बाबा ने भारत के प्रथम नागरिक को तीसरा नंदीवत प्रणाम किया। उन्हें ऐसा करते देख राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने आसन से उठे।
कौन हैं योगगुरु बाबा शिवानंद : बाबा शिवानंद का जन्म साल 1896 में हुआ था। बाबा शिवानंद बंगाल से काशी पहुंचे। गुरु ओंकारानंद से शिक्षा लेने के बाद वे योग और धर्म में बड़े प्रकांड पुरुष साबित हुए। बताया जाता है कि एक महीने के अंदर बाबा शिवानंद की बहन, मां और पिता की मौत हो गई थी।