सूत्रों ने बताया कि वर्ष 2016 में करीब दस करोड़ लड्डू बिके। रियायती दर पर लड्डू बेचने से तो भार पड़ता ही है। साथ ही निशुल्क दर्शन करने वाले और कई घंटों तक कतारों में प्रतीक्षा करने वाले श्रद्धालुओं को प्रति लड्डू दस रुपए की दर से दिया जाता है, जिससे करीब 23 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। इसके अलावा करीब 11 किलोमीटर पैदल चलकर आने वाले श्रद्धालुओं को एक-एक लड्डू मुफ्त में दिया जाता है, जिससे सलाना 22.7 करोड़ रुपए का घाटा हो रहा है। (भाषा)