भारत रंग महोत्सव में नाटकों का मंचन

-शकील अख्तर 
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा का 18 वां भारत रंग महोत्सव 1 फरवरी से जारी है। इस इंटरनेशनल ड्रामा फेस्टिवल के तहत देश-विदेश के नाटकों के साथ कई कार्यक्रम भी आयोजित हो रहे हैं।  18 फरवरी गुरुवार  से महोत्सव में वर्ल्ड थिएटर फोरम की शुरूआत भी हुई। फोरम के इस दूसरे संस्करण में भारत के साथ अमेरिका,सिंगापुर,स्विट्ज़रलैंड और अफगानिस्तान के रंगकर्मी हिस्सा ले रहे हैं। 
 
 
पहले सत्र के आरंभ में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा की जानकारी प्रो त्रिपुरारी शर्मा ने दी। मुख्य वक्ता के बतौर प्रोफेसर वामन केंद्रे ने कहा, वर्ल्ड थिएटर फोरम एक ऐसा माध्यम है जहां सभी रंगकर्मी एक ही मंच पर आकर नाट्य कला के अलग-अलग पहलुओं पर अपने विचार साझा कर सकते हैं। पहले सत्र में अफगानिस्तान के कुरबान अली, सिंगापुर के स्तेफनोस, स्विट्ज़रलैंड की कार्रिन्ने माएर, थाईलैंड के प्रो दमहुंग और भारत की तरफ से प्रो शफ़ात खान ने भी अपने विचार रखे। 
महोत्सव में नाटकों के मंचन भी जारी रहे।  इटली के ग्रुप इंस्ताबिली वैगांती द्वारा निर्देशक अन्ना डोरा डोर्नो के निर्देशन में 'राग्स ऑफ मेमरी- द रिचुअल' का मंचन हुआ,इसका लेखन निकोला पियानजोला ने किया है। निर्देशक अन्ना डोरा डोर्नो  है। 
गोआ के ग्रुप निशाद पणजी की ओर से 'वक्षक' प्रस्तुत किया गया जिसे विष्णु सूर्यवाग ने लिखा है और निर्देशक सतीश आर. नेरवेकर है।  इसमें एक सैनिक का उच्च वर्ग द्वारा शोषण किए जाने को दर्शाया गया है। इसके निर्देशक सतीश रामकृष्ण नार्वेकर गोआ के हैं जिन्हें कई अन्य नाटकों के सशक्त मंचन के लिए जाना जाता है।
 
कोंकणी भाषा के इस नाटक में एक सैनिक के शोषण की कहानी है। कन्नड नाटक 'रति कल्याण' का भी मंचन हुआ। रेवन सिद्धैया के निर्देशित इस नाटक में श्रीकृष्ण की सोलह हजार रानियों में रुकमिणी और सत्यभामा के बीच की नोकझोंक को दर्शाया गया है।
इसी तरह प्लास्टिक की खोज से लेकर इसके दुष्चक्र में फंसने को लेकर प्रस्तुत मूक नाटक 'द ट्रांसपेरेंट ट्रैप' भी खेला गया। इसके लेखन-निर्देशक श्रीकांत भिड़े ने किया है। 

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