नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने 1984 के सिख-विरोधी दंगा मामलों में उच्चतम न्यायालय में 199 मुकदमों की फाइलें मंगलवार को पेश की। शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 2 अगस्त की तारीख मुकर्रर करते हुए केंद्र सरकार को इन फाइलों की छायाप्रति सीलबंद लिफाफे में उसके समक्ष जमा कराने का आदेश दिया।
न्यायालय सिख-विरोधी दंगों की जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है। शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई के दौरान दंगों से संबंधित 293 में से 240 मामलों को बंद करने के विशेष जांच दल (एसआईटी) के निर्णय पर 'संदेह' जताते हुए केंद्र सरकार को इनमें से 199 मामलों को बंद करने के कारण बताने को कहा था।
न्यायालय सरकार से यह जानना चाहता था कि आखिर किस आधार पर इन मामलों की जांच आगे नहीं बढ़ाई गई। पीठ ने सरकार को जवाब देने के लिए तक का वक्त दिया था। इससे पहले अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने पीठ से कहा कि इस घटना को 33 वर्ष बीत गए हैं।
पीड़ितों और चश्मदीदों का अता-पता नहीं है, ऐसे में जांच कैसे संभव है। हालांकि दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अरविंद दत्तार ने एटॉर्नी जनरल की इन दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि अब तक यह जानकारी सार्वजनिक नहीं है कि आखिरकार केंद्र द्वारा गठित एसआईटी ने 80 फीसदी मामलों को क्यों बंद कर दिया?
दत्तार ने बताया कि निचली अदालत में मामले में बंद करने की रिपोर्ट नहीं दाखिल की गई है। यह तो पता चलना ही चाहिए कि आखिरकार इन मामलों को क्यों बंद किया गया? (वार्ता)