रांची/ भुवनेश्वर/ गुवाहाटी/ लखनऊ। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग से सकुशल बाहर निकाले गए 41 श्रमिकों में से झारखंड, ओडिशा और असम के 21 श्रमिक शुक्रवार को अपने-अपने घर पहुंच गए। झारखंड की राजधानी रांची में बिरसा मुंडा हवाई अड्डे पर 15 श्रमिकों का जोरदार स्वागत किया गया। उनका विमान रात 8 बजे यहां पहुंचा।
हवाई अड्डे पर श्रमिकों का स्वागत करने वाले राज्य के श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि एक बड़ा मिशन पूरा हुआ है। सरकार उनकी पूरी मदद करेगी। श्रमिकों को एक विशेष बस से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास ले जाया गया, जहां उन्होंने उनसे बातचीत की और उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली।
श्रमिकों से बातचीत करते हुए सोरेन ने कहा कि खुशी है कि आप सभी उत्तराखंड में हुए इतने बड़े हादसे से सकुशल झारखंड लौट आए हैं। पूरा देश आप सभी के लिए प्रार्थना कर रहा था। आप सभी को राज्य सरकार की रोजगार संबंधी एवं अन्य योजनाओं से जोड़ा जाएगा। मैंने अधिकारियों को इस बारे में निर्देश दे दिए हैं। मैं खुद इसकी जानकारी लेता रहूंगा।
कर्रा के एक श्रमिक विजय होरो ने कहा कि शुरुआती 3 दिन काफी कष्टदायक रहे, लेकिन वे आशान्वित थे। स्नातक छात्र होरो ने कहा कि यह हम सभी के लिए एक नए जन्म की तरह है। हवाई अड्डे पर मौजूद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद दीपक प्रकाश ने भी कहा कि यह बहुत खुशी की बात है कि हमारे परिवार के सदस्य रांची पहुंचे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने श्रमिकों का स्वागत करते हुए दुर्गम क्षेत्रों में कंपनियों की कार्यप्रणाली और श्रमिकों की सुरक्षा से समझौता करने को लेकर सवाल उठाए। सुरंग ढहने के तुरंत बाद राज्य की 3 सदस्यीय टीम घटनास्थल पर पहुंच गई थी।
सुरंग में फंसे ओडिशा के 5 में से 4 श्रमिक दोपहर 1 बजे राज्य की राजधानी भुवनेश्वर पहुंचे, जहां राज्य सरकार की ओर से जोरदार स्वागत किया गया। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने उन्हें 2-2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की। श्रमिक अपने परिवार के सदस्यों के साथ और श्रममंत्री सारदा प्रसाद नायक के साथ पटनायक के आवास पहुंचे, जहां मुख्यमंत्री ने उनकी आपबीती सुनी।
सुरंग से सकुशल लौटे ओडिशा के 5 श्रमिकों में मयूरभंज जिले के राजू नायक, धीरेन नायक और विश्वेश्वर नायक, नबरंगपुर के भगवान बत्रा और भद्रक जिले के तपन मंडल शामिल हैं। तपन के अलावा 4 श्रमिक ओडिशा लौट आए हैं। असम के भी 2 श्रमिक शाम को गुवाहाटी पहुंचे। असम सरकार के अधिकारी उनके साथ थे और दोनों श्रमिकों के स्वास्थ्य स्थिति अच्छी थी।
राम प्रसाद नरजारी (40) और 35 वर्षीय संजय बासुमतारी कोकराझार के रामफलबिल गांव के रहने वाले हैं। दोनों श्रमिकों ने यहां गोपीनाथ बारदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए सुरक्षित वापस पहुंचने पर खुशी व्यक्त की और यहां से लगभग 180 किलोमीटर दूर कोकराझार में अपने घरों के लिए रवाना हो गए।
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुरंग से बचाए गए राज्य के श्रमिकों से लखनऊ में मुलाकात की। आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि शुक्रवार को दोपहर में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने इन 8 श्रमिकों से अपने आवास पर मुलाकात की और हर एक की कुशलक्षेम पूछी।
योगी ने सभी श्रमिकों को उत्तरप्रदेश सरकार की ओर से शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया और उन्हें मिठाई तथा उपहार भी प्रदान किए। राज्य के 8 श्रमिकों में से श्रावस्ती से 6 (अंकित, राम मिलन, सत्यदेव, संतोष, जयप्रकाश और राम सुंदर), लखीमपुर खीरी से 1 (मंजीत) और मिर्जापुर से 1 (अखिलेश कुमार) शामिल थे।
मुख्यमंत्री से मुलाकात से पहले मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए एक श्रमिक ने कहा कि वे 3 महीने पहले सिलक्यारा सुरंग में काम करने गए थे। उन्होंने कहा कि बचाए जाने के बाद मैं अपने पिता से मिला, जो घटनास्थल पर मौजूद थे। मैं अब घर जाना चाहता हूं और अपने परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताना चाहता हूं।
एक अन्य कार्यकर्ता ने कहा कि मदद के लिए संदेश भेजने में कामयाब होने के बाद उन्होंने अपना भाग्य भगवान पर छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि जब सुरंग में कैमरा लगाया गया तो हमें उम्मीद जगी कि बाहर बड़े पैमाने पर चल रहे बचाव कार्य के कारण हमें बचा लिया जाएगा। एक अन्य श्रमिक राम सुंदर ने कहा कि अंदर फंसे लोगों ने लूडो और ताश खेलकर समय बिताया। उन्होंने कहा कि कंपनी ने उनकी काफी मदद की है और सुरंग स्थल पर काम शुरू होने पर वे फिर से जाएंगे।(भाषा)(प्रतीकात्मक चित्र)