उन्होंने बताया, मौनी अमावस्या पर भारी भीड़ के मद्देनजर आठ स्नान घाट बनाए गए थे। इसके अलावा, सभी घाटों पर पर्याप्त सर्कुलेटिंग एरिया की व्यवस्था की गई थी, जिसमें संगम नोज पर लगभग 650 फुट और अन्य सभी घाटों पर औसतन 300 फुट चौड़े सर्कुलेटिंग एरिया बनाए गए थे।
उन्होंने बताया कि मौनी अमावस्या पर मेला प्रशासन की ओर से हेलीकॉप्टर से श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा कराई गई। मेला प्रशासन के इस कदम का स्वागत करते हुए पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तत्परता के साथ इस पर्व को संपन्न कराया। मैं मुख्यमंत्री की व्यवस्था को लेकर प्रसन्नता व्यक्त करता हूं।
इस अवसर पर सतुआ बाबा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने श्रद्धालुओं और साधु-संतों पर पुष्पवर्षा कराकर यह संदेश दिया है कि अध्यात्म के साथ ही व्यक्ति भारत में राजसत्ता, धर्मसत्ता और आश्रम सत्ता को चला सकता है। इससे पूरे माघ मेले में एक उत्साह का माहौल है।
स्वामी अधोक्षजानंद ने बताया कि तीर्थों के राजा तीर्थराज प्रयाग में दान-पुण्य का विशेष महत्व है और मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य, अनुष्ठान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इससे लोगों को परलोक में भी सम्मान मिलता है। यही कारण है कि सनातन धर्म का हर व्यक्ति इस दिन गंगा स्नान करना चाहता है।(भाषा)