2. जनता में अविश्वास : कांग्रेस जनता का विश्वास नहीं जीत पाई। 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में कांग्रेस की सरकार थी, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों के कांग्रेस छोड़ने से सरकार गिरी और एक बार फिर भाजपा की सरकार बन गई। जबकि, जनादेश कांग्रेस के पक्ष में था। लोकसभा चुनाव के समय भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला, जब सुरेश पचौरी, पूर्व विधायक संजय शुक्ला, विशाल पटेल, निलेश अवस्थी, अजय यादव, कमलनाथ समर्थक विधायक दीपक सक्सेना समेत कई अन्य बड़े नेता कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। इंदौर में तो लोकसभा उम्मीदवार अक्षय बम ने नाम ही वापस ले लिया। इसका मतदाताओं पर नकारात्मक असर पड़ा। लोगों को लगा कि कांग्रेस उम्मीदवार जीतने के बाद भी पार्टी में रहें, इसकी क्या गारंटी है। इसलिए मतदाताओं ने कांग्रेस को वोट देना जरूरी नहीं समझा। कमलनाथ और उनके बेटे के भाजपा में जाने की खबरों ने भी कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया।
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