राजीव गांधी की 5 बड़ी गलतियां, जिनसे कांग्रेस ने उठाया भारी नुकसान
इसमें कोई संदेह नहीं कि राजीव गांधी ने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में कई ऐसे फैसले लिए जिनसे देश को बहुत फायदा हुआ, लेकिन बड़े आदमियों से गलतियां भी बड़ी ही होती हैं। राजीव की इन गलतियों से कालांतर में कांग्रेस को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा। आइए, जानते हैं राजीव की वे 5 बड़ी गलतियां, जिनके लिए उनकी आलोचना भी होती है...
1. शाहबानो मामले में फैसला पलटा : राजीव गांधी को शाहबानो मामले में तीखी आलोचना झेलनी पड़ी थी, जब उन्होंने 25 फरवरी 1986 को मुस्लिम महिला विधेयक पारित कर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदल दिया था। दअरसल, इंदौर की शाहबानो के पति मोहम्मद अहमद खान ने 43 साल साथ रहने के बाद उन्हें तीन तलाक दे दिया और 5 बच्चों के साथ उन्हें घर से बेदखल कर दिया।
अहमद खान ने मेहर की रकम तो लौटा दी, लेकिन शाहबानो गुजारा भत्ता चाहती थीं। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। शीर्ष अदालत ने शाहबानो को गुजारा भत्ता देने का फैसला सुनाया। इस फैसले ने बाकी मुस्लिम महिलाओं को भी रास्ता दिखाया। बताया जाता है कि राजीव गांधी ने यह फैसला मुस्लिम वोट टूटने के डर से लिया था।
2. 1984 के सिख दंगे : 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पूरे देश में सिखों के खिलाफ हिंसा शुरू हो गई थी। कई कांग्रेसियों पर भी इस हिंसा में शामिल होने के आरोप लगे थे। अब तक इस मामले में मुकदमे चल रहे हैं। तब सिख दंगों पर राजीव गांधी ने कहा था कि 'जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती थोड़ी हिलती है'। इन दंगों के बाद पूरा सिख समुदाय कांग्रेस के खिलाफ हो गया, जिसकी नाराजगी अब तक बरकरार है।
3. वॉरेन एंडरसन को छोड़ना : राजीव गांधी पर आरोप था कि यूनियन कार्बाइड के मालिक वॉरेन एंडरसन को भगाने में गांधी और मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने मदद की थी। भोपाल में 3 दिसंबर 1984 को यूनियन कार्बाइड में 30 टन जहरीली मिथाइल आइसोसायनेट गैस रिसने से करीब 15000 लोग मारे गए थे और 5 लाख से ज्यादा लोग उस गैस से प्रभावित हुए। उसके बाद एंडरसन कभी भी भोपाल नहीं लौटा।
4. भ्रष्टाचार की स्वीकारोक्ति : राजीव गांधी ने भ्रष्टाचार की बात स्वयं एक भाषण में स्वीकार की थी। उन्होंने कहा था कि मैं दिल्ली से 1 रुपया भेजना हूं तो गांव तक सिर्फ 10 पैसे ही पहुंचते हैं अर्थात 90 पैसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाते हैं। राजीव ने यह बात मध्यप्रदेश के खरगोन में एक सभा के दौरान कही थी।
5. बोफोर्स दलाली : रक्षा सौदे से जुड़ा बोफोर्स मामला राजीव गांधी पर ऐसा दाग था, जिसके कारण उन्हें चुनाव में करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी। उन्हीं की सरकार में रक्षामंत्री रहे वीपी सिंह इस मुद्दे को उठाकर प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे थे। इस मामले में आरोप था कि स्वीडन की होपित्जर तोपों की सप्लाई में भारतीय नेताओं को 60 करोड़ रुपए की घूस दी गई। कांग्रेस अभी भी इन आरोपों से नहीं उबर पाई है। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे को उठाकर नरेंद्र मोदी ने गांधी परिवार और राहुल गांधी पर निशाना साधा था।