पुराने नोटों का चलन बंद होने से दिव्यांगों, गरीबों को दिक्कतें

शुक्रवार, 11 नवंबर 2016 (21:51 IST)
नई दिल्ली। बड़े नोटों का चलन बंद होने के बाद सैकड़ों लोगों की तरह दृष्टिबाधित मनिन्दर त्रिपाठी भी अपने 500 रुपए के नोट का खुला कराने के लिए रिजर्व बैंक के सामने अलग लाइन में खड़े थे। यह अलग लाइन वाली सुविधा बाहर निकलते हुए खत्म हो गई क्योंकि त्रिपाठी बैंक से खाली हाथ लौटे जबकि कुछ लोग 2 हजार के नए नोट दिखाते हुए बाहर आए।
 
त्रिपाठी अपनी जीविका चलाने के लिए अगरबत्तियां बेचते हैं। लेकिन उनकी कहानी का सबसे क्रूर हिस्सा यह है कि एक ग्राहक ने उनसे 12 रुपए कीमत की अगरबत्ती का पैकेट खरीदने के लिए लिया और बिना पैसे दिए ही भाग गया।
रिजर्व बैंक के सामने फुटपाथ पर चुपचाप बैठे त्रिपार्ठी ने बताया, सामान्य तौर पर मैं दिन में 150-180 रुपए कमा लेता हूं लेकिन मंगलवार से मेरी कमाई आधी हो गई है क्योंकि लोगों के पास खुले पैसे ही नहीं हैं। आज मैं सिर्फ सात पैकेट बेच सका। 
 
उन्होंने कहा, कल किसी ने मुझसे अगरबत्ती खरीदी और मुझे 500 का नोट पकड़ा दिया। जब तक मुझे अहसास होता वह भाग गया था। मैं आरबीआई गया, वहां लोगों ने मुझसे पहचान-पत्र मांगा लेकिन मैं कुछ नहीं दिखा सका, इसलिए उन्होंने मुझे खुल्ले रुपए देने से मना कर दिया। (भाषा) 

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