ground water level: सरकार ने सोमवार को नई दिल्ली में बताया कि देश के भूजल स्तर में 6 प्रतिशत का सुधार हुआ है और भूजल सुरक्षित क्षेत्र भी 63 प्रतिशत से बढ़कर 73 प्रतिशत हो गया है। जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान यह जानकारी देते हुए बताया कि भूजल स्तर में गिरावट 2017 में 17 प्रतिशत थी, जो 2023 में घटकर 11 प्रतिशत रह गई है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार भूजल स्तर में 6 प्रतिशत का सुधार हुआ है।
निर्दलीय सदस्य कार्तिकेय शर्मा के पूरक प्रश्न के उत्तर में पाटिल ने यह भी बताया कि भूजल सुरक्षित क्षेत्र भी 63 प्रतिशत से बढ़कर 73 प्रतिशत हो गया है। बीजद के सुजीत कुमार के पूरक प्रश्न के उत्तर में पाटिल ने बताया कि देश स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे होने पर मनाए गए अमृत महोत्सव के दौरान हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाए गए और इसका सकारात्मक परिणाम मिला है।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकारों से मिली रिपोर्ट के अनुसार भूजल स्तर बढ़ा है और उसकी गुणवत्ता भी सुधरी है लेकिन यह कार्य सतत करते रहना होगा वरना भूजल स्तर नीचे चला जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्षा जल संरक्षण के लिए भी ध्यान देना होगा। मंत्रालय ने इस बारे में विभिन्न योजनाएं बनाई हैं। पाटिल ने कहा कि पानी को साफ रखने के लिए और स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने के लिए सरकार की ओर से पूरी कोशिश की जा रही है।
भाजपा के केसरीदेव सिंह झाला के पूरक प्रश्न के जवाब में उन्होंने बताया कि गुजरात में कभी पानी की कमी थी लेकिन जब नरेन्द्र मोदी मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने जो योजनाएं बनाईं उनकी वजह से आज राज्य को भरपूर पानी मिल रहा है और किसान 3-3 फसल ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात में आज सीमा की सुरक्षा में लगे जवानों को भी पीने का साफ पानी मिल रहा है।
समाजवादी पार्टी की जया बच्चन ने भूजल के उपयोग संबंधी अनापत्ति प्रमाणपत्र की शर्तों का उल्लंघन करने पर सजा के बारे में जानना चाहा। इस पर पाटिल ने कहा कि भूजल के उपयोग संबंधी अनापत्ति प्रमाणपत्र की शर्तों का उल्लंघन करने पर नियमों के अनुसार सजा देने का प्रावधान है।
एक अन्य पूरक प्रश्न के उत्तर में पाटिल ने बताया कि आर्सेनिक और फ्लोराइड के संदूषण वाले पानी की सफाई के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पेयजल गुणवत्ता परीक्षण के लिए प्रयोगशालाओं का नेटवर्क है और हर राज्य में यह सुविधाएं हैं। उन्होंने कहा कि यहां तक कि ग्राम पंचायतों तक को यह सुविधा मुहैया कराई गई है और स्थानीय समुदाय की महिलाओं को भी इसके लिए प्रशिक्षण दिया जाता है।
पाटिल ने बताया की देश की स्वाधीनता के बाद '70 वर्ष तक हर गांव में पानी नहीं पहुंच पाया। इसीलिए 'जल जीवन मिशन' योजना शुरू की गई जिसका सबसे अधिक लाभ महिलाओं को हुआ। उनका 75 प्रतिशत समय पानी के प्रबंध करने में लगता था और इसके बावजूद उन्हें शुद्ध पानी नहीं मिल पाता था। यह उनका एक तरह से सशक्तीकरण है। करीब 25 लाख महिलाओं को पानी की गुणवत्ता जांचने का प्रशिक्षण दिया गया है।
उन्होंने कहा कि 19 करोड़ घरों को 'जल जीवन मिशन' योजना के तहत पानी दिया जा रहा है और 2 वर्ष में 6.50 करोड़ लोग इस योजना के दायरे में आए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र ने राज्य सरकार का भी बोझ हल किया है। प्रदूषित पानी से बीमारियां होती थीं लेकिन शुद्ध पानी मिलने से काफी हद तक यह समस्या दूर हुई है। इस तरह से राज्य सरकार का बोझ भी कम हुआ है।
उन्होंने कहा कि योजना के तहत केंद्र सरकार आर्थिक मदद और तकनीकी सहायता देती है और योजना का कार्यान्वयन राज्य सरकार का जिम्मा है। हाल ही में इस संबंध में राज्य सरकारों से बातचीत भी हुई। भाजपा के अशोक चाव्हाण ने कहा कि केंद्र की ओर से 90 प्रतिशत राशि दी जाती है और राज्य सरकार का खर्च 10 प्रतिशत होता है। विभिन्न एजेंसियों के काम में विलंब होने की वजह से योजना के क्रियान्वयन में विलंब होता है। ऐसी एजेंसियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए। पाटिल ने बताया कि इस संबंध में कदम उठाए जा रहे हैं।(भाषा)