नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय में 3 महिलाओं समेत 9 नए न्यायाधीशों को गुरुवार को नियुक्त किया गया और इसी के साथ न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना के सितंबर, 2027 में पहली महिला प्रधान न्यायाशीध (सीजेआई) बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनके नियुक्ति पत्रों पर हस्ताक्षर किए। उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की अधिकतम संख्या 34 हो सकती है और इस समय शीर्ष अदालत में 10 पद रिक्त हैं। आगामी दिनों में नए न्यायाधीशों के शपथ ग्रहण करने के बाद शीर्ष अदालत में केवल एक रिक्त पद रह जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि नए न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में विधि मंत्रालय जल्द ही औपचारिक अधिसूचना जारी करेगा। न्यायालय के कॉलेजियम ने एक अभूतपूर्व निर्णय के तहत तीन महिला न्यायाधीशों को उच्चतम न्यायालय में नियुक्त करने की पिछले सप्ताह सिफारिश की थी।
कर्नाटक उच्च न्यायालय की तीसरी सबसे वरिष्ठतम न्यायाधीश नागरत्ना के अलावा गुजरात उच्च न्यायालय की पांचवीं सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश बेला एम त्रिवेदी और तेलंगाना उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश हिमा कोहली को भी उच्चतम न्यायालय में नियुक्त किया गया है।
न्यायमूर्ति कोहली 62 वर्ष की आयु होने पर एक सितंबर को सेवानिवृत्त होने वाली थीं क्योंकि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं, लेकिन उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति के लिए आयु 65 वर्ष है।
तीन महिला न्यायाधीशों के अलावा केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सीटी रवि कुमार और मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एमएम सुंदरेश को भी शीर्ष अदालत में नियुक्त किया गया है। वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पीएस नरसिम्हा ऐसे छठे वकील हैं, जिन्हें बार से सीधे न्यायालय में नियुक्ति मिली है।
न्यायमूर्ति कोहली के अलावा विभिन्न उच्च न्यायालयों के जिन मुख्य न्यायाधीशों को उच्चतम न्यायालय में पदोन्नत किया गया है, उनमें न्यायमूर्ति अभय श्रीनिवास ओका (कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश), न्यायमूर्ति विक्रम नाथ (गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश) और न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार माहेश्वरी (सिक्किम उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश) शामिल हैं।
न्यायमूर्ति नागरत्ना का जन्म 30 अक्टूबर, 1962 को हुआ था और वे पूर्व प्रधान न्यायाधीश ईएस वेंकटरमैया की बेटी हैं। उन्होंने 28 अक्टूबर, 1987 को बेंगलुरु में वकील के रूप में पंजीकरण कराया था और संविधान, वाणिज्य, बीमार एवं सेवा के क्षेत्रों में वकालत की। उन्हें 18 फरवरी, 2008 को कर्नाटक उच्च न्यायालय की अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और 17 फरवरी, 2010 को स्थाई न्यायाधीश बनाया गया।
उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल 29 अक्टूबर, 2027 तक होगा और 23 सितंबर, 2027 के बाद पहली महिला प्रधान न्यायाधीश बनने के बाद वह सीजेआई के रूप में संभवत: एक महीने से अधिक समय तक कार्यभार संभालेंगी।
न्यायमूर्ति कोहली का जन्म दो सितंबर, 1959 को दिल्ली में हुआ। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से एलएलबी की डिग्री ली और वह 1999-2004 तक दिल्ली उच्च न्यायालय में नई दिल्ली नगर परिषद की स्थाई वकील और कानूनी सलाहकार थीं।
उन्हें 29 मई, 2006 को दिल्ली उच्च न्यायालय की अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और उन्होंने 29 अगस्त, 2007 को स्थाई न्यायाधीश के रूप में शपथ ली और वह बाद में सात जनवरी, 2021 को तेलंगाना उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश बनीं।
न्यायमूर्ति त्रिवेदी का जन्म 10 जून 1960 को हुआ। वह नौ फरवरी, 2016 से गुजरात उच्च न्यायालय की न्यायाधीश हैं और न्यायिक सेवा श्रेणी से संबंधित हैं। छह अक्टूबर 1989 को उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश बनीं फातिमा बीवी के अलावा अब तक शीर्ष अदालत में सात और महिला न्यायाधीशों की नियुक्ति की जा चुकी है।
इन महिला न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति सुजाता वसंत मनोहर, न्यायमूर्ति रूमा पाल, न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा, न्यायमूर्ति रंजना देसाई, न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी शामिल हैं।(भाषा)