भूषण और यादव ने पत्र में कहा, धीरे-धीरे ऐसा समझ में आने लगा कि बातचीत का मकसद हमारे मुद्दों को सुलझाना नहीं था, बल्कि हमारा इस्तीफा हासिल करना था। आपकी ओर से बात कर रहे साथी घुमा-फिराकर एक ही आग्रह बार-बार कर रहे थे कि हम दोनों अब राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफा दे दें। हमें कारण यही बताया जाता था कि यह आपका व्यक्तिगत आग्रह है।