निलंबन से अधीर रंजन चौधरी नाराज, ले सकते हैं सुप्रीम कोर्ट की शरण

शनिवार, 12 अगस्त 2023 (14:47 IST)
Adhir Ranjan Chowdhury : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि जरूरत हुई तो वह लोकसभा से अपने निलंबन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं और इस संदर्भ में विचार-विमर्श चल रहा है।
 
उन्होंने कहा कि लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर अपनी बात रखते हुए उन्होंने उपमा के रूप में कुछ शब्दों का इस्तेमाल किया था और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी या किसी भी व्यक्ति का अपमान करना उनका मकसद नहीं था।
 
लोकसभा में कांग्रेस के नेता चौधरी ने कटाक्ष करते हुए यह भी कहा कि उन्हें पहले ‘फांसी पर चढ़ा दिया गया’ और फिर कहा जा रहा है कि मुकदमा चलाएंगे।
 
संसद के निचले सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर हुई चर्चा के दौरान कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर की गई कुछ टिप्पणियों और उनके आचरण को लेकर गुरुवार को उन्हें सदन से निलंबित कर दिया गया था तथा उनके खिलाफ इस मामले को जांच के लिए विशेषाधिकार समिति के पास भेज दिया गया।
 
चौधरी ने एक सवाल के जवाब में शनिवार को कहा कि जरूरत पड़ी तो उच्च न्यायालय जा सकते हैं...विचार विमर्श कर रहे हैं। उनका यह भी कहना था कि मुझे जब भी संसद की विशेषाधिकार समिति के पास बुलाया जाएगा, तो मैं जरूर जाऊंगा। हम लोग सभी नियमों और परंपराओं को मानकर चलते हैं।
 
चौधरी ने कहा कि पहले फांसी दे दी गई और फिर मुकदमे का सामना करना है। अजीबोगरीब स्थिति है। उनके मुताबिक, उन्होंने उपमा के तौर पर कुछ शब्दों का इस्तेमाल किया जिनका मकसद किसी का अपमान करना नहीं था।
 
कांग्रेस नेता ने कहा कि मैंने सदन में जो बात कही उसमें मुझे गलती नहीं लगती। हो सकता है कि यह सरकार आगे भगवा शब्दकोश बना दे और तय करे कि विपक्ष के लोग कौन-कौन से शब्द का इस्तेमाल करेंगे।
 
उन्होंने कहा कि मैं पूछना चाहता हूं कि ‘नीरव’ का मतलब क्या होता है। मैंने किसी को आहत करने के लिए इस शब्द का इस्तेमाल नहीं किया था। क्या अपने मन की बात करना गलत है, नाजायज है?
 
कांग्रेस नेता ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने जब दो घंटे तक मणिपुर का उल्लेख नहीं किया तो विपक्ष को सदन से बहिर्गमन करना पड़ा। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने सिर्फ तीन मिनट तक मणिपुर को लेकर बात की।
 
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने इस सत्र में नियमों और संसदीय परंपराओं की धज्जियां उड़ाईं और अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा किए जाने के बाद भी कई विधेयक पारित करवा लिए गए। 

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