AI generated images of Muslim women: डिजिटल युग में एक नई और परेशान करने वाली प्रवृत्ति ने जन्म लिया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के जरिए मॉर्फ की गई तस्वीरों और वीडियो ने इंटरनेट पर मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम और टेलीग्राम पर ऐसे पेजों की संख्या में भारी वृद्धि देखी गई है, जो मुस्लिम महिलाओं की अर्ध-अश्लील (सॉफ्ट पोर्न) छवियां पोस्ट कर रहे हैं। यह सिर्फ तकनीक का दुरुपयोग नहीं, बल्कि एक गहरी सामाजिक और नैतिक समस्या का संकेत है।
नई चुनौती बनता एआई का दुरुपयोग : द क्विंट की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया पर ऐसे पेज सक्रिय हैं जो एआई टूल्स का इस्तेमाल कर मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों को मॉर्फ करते हैं। ये पेज उत्तेजक मीम्स, फोटोशॉप्ड इमेज और एआई-जनरेटेड कंटेंट के जरिए महिलाओं की छवि को बदनाम करने का काम कर रहे हैं। द क्विंट ने बताया कि ये गतिविधियां फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स पर खुलेआम हो रही हैं, जहां ऐसे पेजों के हजारों फॉलोअर्स हैं।
पत्रकार आदित्य मेनन ने न्यूज़लॉन्ड्री में प्रकाशित अपने एक लेख में इस समस्या की गहराई को उजागर किया। उनकी पड़ताल के दौरान इंस्टाग्राम पर कम से कम 250 ऐसे पेज मिले, जो एआई की मदद से मुस्लिम महिलाओं की सॉफ्ट पोर्न इमेज बना रहे थे। फेसबुक पर भले ही ऐसे पेजों की संख्या कम हो, लेकिन इनके फॉलोअर्स की संख्या हजारों में है। मेनन के अनुसार, इनमें से अधिकतर इमेज उत्तेजक होती हैं और एक खास पैटर्न का पालन करती हैं - जिसमें एक मुस्लिम महिला को एक या कई हिंदू पुरुषों के साथ अंतरंग स्थिति में दिखाया जाता है। यह न सिर्फ महिलाओं के सम्मान पर हमला है, बल्कि सांप्रदायिक तनाव को भड़काने की कोशिश भी प्रतीत होती है।
खास पैटर्न और सुनियोजित मंशा : क्या है इसके पीछे की सोच? आदित्य मेनन ने अपने विश्लेषण में एक चौंकाने वाला खुलासा किया। उनके मुताबिक, ये पेज ज्यादातर हिंदुत्व समर्थक विचारधारा से जुड़े हुए हैं। एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा कि एआई इमेज जेनरेटर्स ने मुस्लिम महिलाओं की अर्ध-अश्लील तस्वीरों की बाढ़ ला दी है और ये ज्यादातर प्रो-हिंदुत्व पेजों से आ रही हैं। इसके पीछे की मानसिकता क्या है? (7 मार्च 2025)। मेनन ने यह भी बताया कि इन पेजों के नाम अक्सर हिंदूवादी होते हैं, जो एक खास समुदाय को निशाना बनाने की कोशिश करते हैं।
उल्लेखनीय है कि इसके पहले भी कई बार सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वाली सामग्री के प्रसार पर चर्चा की गई थी। अब एआई-जनरेटेड कंटेंट के पीछे भी ऐसी ही कट्टर मानसिकता काम कर सकती है। द क्विंट ने 'बुल्ली बाई' और 'सुल्ली डील्स' जैसे मामलों का उदाहरण देते हुए बताया कि पहले भी मुस्लिम महिलाओं को ऑनलाइन निशाना बनाया जा चुका है। इन घटनाओं में उनकी तस्वीरें बिना सहमति के नीलामी के लिए पोस्ट की गई थीं। अब एआई ने इस अपराध को और आसान और व्यापक बना दिया है।
नफरत भड़काने में तकनीक और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की भूमिका : एआई टूल्स जैसे Midjourney, Stable Diffusion और DALL-E ने छवि निर्माण को बेहद आसान बना दिया है। कोई भी व्यक्ति कुछ कीवर्ड्स डालकर मिनटों में वास्तविक दिखने वाली तस्वीरें बना सकता है। अक्सर इन टूल्स का इस्तेमाल कर बनाई गई इमेज इतनी वास्तविक लगती हैं कि इन्हें असली समझने की भूल हो सकती है। लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की निष्क्रियता इस समस्या को बढ़ा रही है।
इसके पहले भी टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर महिलाओं की अंतरंग और अश्लील तस्वीरों के शेयर होने की बात सामने आई थी। टेलीग्राम ने दावा किया कि उनके पास ऐसी सामग्री को रोकने की नीति नहीं है, जब तक कि यूजर्स रिपोर्ट न करें। फेसबुक और इंस्टाग्राम भी 'हेट स्पीच' और 'अश्लीलता' को लेकर सख्त दावे करते हैं, लेकिन इन पेजों का खुलेआम चलना उनके दावों पर सवाल उठाता है।
मुस्लिम महिलाओं या किसी भी समुदाय की महिलाओं की एआई-जनरेटेड अश्लील इमेज वाले पेजों की बढ़ती संख्या एक गंभीर संकट का संकेत है। यह न केवल तकनीक का दुरुपयोग है, बल्कि नफरत, यौन हिंसा और सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने का हथियार भी बन रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अपनी नीतियों को सख्त करना होगा और सरकार को ऐसे अपराधों के खिलाफ ठोस कानून लाने होंगे। क्या यह सिर्फ कुछ लोगों की विकृत सोच है, या इसके पीछे कोई बड़ी साजिश है? यह सवाल अनुत्तरित है। लेकिन एक बात साफ है - अगर इसे समय रहते नहीं रोका गया, तो यह डिजिटल दुनिया में एक खतरनाक चलन बन सकता है।