‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ विचार की योजना : नरेन्द्र मोदी

रविवार, 29 नवंबर 2015 (10:55 IST)
नई दिल्ली। देश में कथित असहिष्णुता पर जारी बहस के बीच राष्ट्रीय एकता को सर्वोपरि और आंतरिक सतर्कता को स्वतंत्रता की पूंजी करार देते हुए प्रधानमंत्री ने आज कहा कि वह ‘ एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ को योजना का रूप प्रदान करना चाहते हैं। उन्होंने इसके लिए लोगों से सुझाव मांगे।

आकाशवाणी पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यहां कहा कि 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती के दिन उन्होंने एक भारत, श्रेष्ठ भारत की चर्चा की थी। ए ऐसी चीज है जिसे लेकर सामाजिक जीवन में निरंतर जागरूकता बनी रहनी चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्रयाम जाग्रयाम व्यम’ यह स्वतंत्रता बनाने रखने में आतंरिक सकर्तता के महत्व को रेखांकित करता है। देश में एकता की संस्कार सरिता चलती रहनी चाहिए।
 
मोदी ने कहा,  ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’.. इसको मैं एक योजना का रूप देना चाहता हूं। इस बारे में मैंने माईजीओवी पर सुझाव मांगे हैं। कार्यक्रम की रूपरेखा कैसी हो ? लोगो क्या हो? जन-भागीदारी कैसे बढ़े? क्या रूप हो? सारे सुझाव के लिए मैंने कहा था। उन्होंने कहा कि मुझे बताया गया कि काफी सुझाव आ रहे हैं, लेकिन मैं और अधिक सुझावों की अपेक्षा करता हूं। बहुत विशिष्ट योजनाओं के बारे में राय की अपेक्षा करता हूं।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे बताया गया है कि इसमें हिस्सा लेने वालों को प्रमाणपत्र दिया जाएगा। कोई बड़े पुरस्कार भी घोषित किए गए हैं। आप भी अपना रचनात्मक मस्तिष्क लगाइए। एकता अखंडता के इस मंत्र को, एक भारत, श्रेष्ठ भारत मंत्र को कैसे एक-एक हिन्दुस्तानी को जोड़ने वाला बना सकते हैं। कैसी योजना हो, कैसा कार्यक्रम हो। जानदार भी हो, शानदार भी हो, प्राणवान भी हो और हर किसी को जोड़ने के लिए सहज सरल हो। सरकार क्या करे? समाज क्या करे? नागरिक समाज क्या करे? बहुत सी बातें हो सकती हैं। इन सभी बातों पर सुझाव दें। 
 
मुद्रा बैंक योजना का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मुद्रा बैंक योजना ऐसे लोगों के लिए है, जिन्हें अपने व्यवसाय को चलाने के लिए धनराशि नहीं मिल पाती है। उनको धनराशि मिले. इस उद्देश्य से यह योजना तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि इस योजना का मकसद अगर मैं सरल भाषा में समझाऊ तो यह 3, इंटरप्राइज, अर्निंग और एंपावरमेंट है। 
 
मुद्रा इंटरप्राइज यानी उद्यमिता को प्रोत्साहित करता है, मुद्रा अर्निंग यानी आय के अवसर पैदा करता है और मुद्रा सच्चे अर्थो में एंपावरमेंट यानी सशक्तिकरण करता है। छोटे-छोटे उद्यमियों की मदद करने के लिए यह मुद्रा योजना चल रही है।
 
मोदी ने कहा, ‘वैसे मैं जिस गति से जाना चाहता हूं, वो गति तो अभी आनी बाकी है। लेकिन शुरुआत अच्छी हुई है इतने कम समय में करीब 66 लाख लोगों को 42 हजार करोड़ रूपए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से मिला।’ उन्होंने कहा कि यह पैसा धोबी नाई, अखबार बेचनेवाला, दूध बेचनेवाला..छोटे-छोटे कारोबार करने वाले लोगों को मिले। और मुझे खुशी इस बात की हुई कि इन 66 लाख लोगों में 24 लाख महिलाएं हैं। इसमें ज्यादातर मदद पाने वाले अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग के लोग हैं जो खुद मेहनत करके अपने पैरों पर खड़े होकर सम्मान से परिवार को चलाने का प्रयास करते हैं।
 
प्रधानमंत्री ने मुद्रा बैंक योजना के संबंध में गोरखपुर के अभिषेक कुमार, भोपाल की ममता शर्मा और मुंबई में शैलेश भोसले का जिक्र किया। मोदी ने कहा कि लेकिन मैं चाहूंगा कि योजना का और प्रचार हो। हमारे सभी बैंक और ज्यादा संवेदनशील हों और ज्यादा से ज्यादा छोटे लोगों को मदद करें। सचमुच में देश की अर्थव्यवस्था को यही लोग चलाते हैं। छोटा-छोटा काम करने वाले लोग ही देश के अर्थ की आर्थिक शक्ति होते हैं। हम उसी को बल देना चाहते है। अच्छा हुआ है, लेकिन और अच्छा करना है। (वार्ता)

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