अपनी ही सूरत नहीं पहचान पाएंगे, ये है भारत के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की असली तस्वीर

नवीन रांगियाल
Indore AIR Pollution and AQI Index: इंदौर देश का सबसे स्‍व्‍च्‍छ शहर है। शहर ने सफाई में रिकॉर्ड बनाया है। लेकिन धूल और प्रदूषण की बात करें तो हो यहां ऐसे कई इलाके हैं, जहां से गुजरने पर आप अपनी ही सूरत नहीं पहचान पाएंगे। वेबदुनिया आपको दिखा रहा है सबसे स्‍वच्‍छ शहर इंदौर की असली सूरत। दरअसल, पिछले कुछ दिनों में इस शहर का एक्‍यूआई यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स का ग्राफ जिस तेजी से बढ़ा है, उसने इस शहर की साख पर बट्टा लगा दिया है।

मेट्रो रेल के अधर में लटके प्रोजेक्‍ट्स, जगह-जगह धीमी गति से बन रहे ओवरब्रिज और फ्लाईओवर, कार और बाइक्‍स की बढ़ती संख्या, लगातार कम होती ग्रीनरी और खराब- बदहाल सड़कों की वजह से उड़ती धूल की वजह से न सिर्फ लोगों के धंधे चोपट हो रहे हैं, लोगों को कई तरह की बीमारियां भी परोस रही है। आम लोगों का न सिर्फ सड़कों पर चलना मुश्‍किल हो गया है, बल्‍कि कामकाजी नागरिकों का समय भी बर्बाद हो रहा है। अगर यही हालात रहे तो देश का सबसे साफ शहर ‘दूसरा दिल्‍ली’ बन जाए तो कोई ताज्‍जुब की बात नहीं होगी। यह न सिर्फ शहर की आबोहवा में जहर घोल रहा है, बल्‍कि अस्‍थमा, दमा, आंखों और नाक की एलर्जी देकर शहरवासियों की हेल्‍थ का कबाड़ा भी कर रहा है। डॉक्‍टरों का कहना है कि पॉल्‍युशन के उठते ग्राफ में 70 जिम्‍मेदारी सड़क से उड़ने वाली धूल है।

500 के खतरनाक स्तर तक पहुंचा AQI
इंदौर में एक्यूआई यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार खराब होता जा रहा है। इंदौर में एक्यूआई लगातार 250 तक बना रहता है। 1 नवंबर को तो इसने 500 का आंकड़ा छू लिया जो बेहद खतरनाक स्तर होता है। हालांकि इसमें दीपावली को होने वाला प्रदूषण शामिल है लेकिन सामान्य दिनों में भी इंदौर का एक्यूआई 250 से 300 तक रहता है।

इंदौर की हवा हुई खतरनाक : इंदौर में दीपावली के अगले दिन शुक्रवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ने 400 का स्तर पार कर गया है। यहां की हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर' श्रेणी में पहुंच गई है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, शहर के छोटी ग्वालटोली क्षेत्र में शुक्रवार को दोपहर 12 बजे एक्यूआई 404 आंका गया, जबकि प्रमुख प्रदूषक तत्व पीएम 2.5 औसतन 255.26 दर्ज किया गया था।

रेती मंडी ब्रिज से लेकर राऊ तक बदहाल हुआ जीवन : बता दें कि इंदौर के एबी रोड पर प्रस्‍तावित रेती मंडी ब्रिज से लेकर राऊ तक हालात बेहद खराब हो चुके हैं। यहां रेती मंडी ब्रिज बनाया जाना प्रस्‍तावित है। इसके निर्माण के लिए टीन शेड लगाया गया है। जिससे सडक पूरी तरह से संकरी हो गई है। आसपास वाहन चालकों के चलने के लिए जो जगह बची है, वो पूरी तरह से उखड़कर गिट्टी और मुरम में तब्‍दील हो गई है। जिससे यहां 24 घंटे धूल का गुबार उड़ता रहता है।

धूल से बर्बाद हो रहा लाखों का माल : इस इलाके में व्‍यापारी इस धूल धक्‍कड़ से परेशान हैं। फर्नीचर की दुकान लगाने वाले किशन यादव ने बताया कि पिछले एक साल से पुल निर्माण की प्‍लानिंग चल रही है। अब तक काम शुरू नहीं हुआ है। इंजीनियर से पूछते हैं तो वे कहते हैं कि उन्‍हें नहीं पता। उन्‍हें जितना कहा जाता है, उतना कर देते हैं। उन्‍होंने बताया कि खुदी हुई सड़क से जो धूल उड़ रही है, उससे सारा माल बर्बाद हो रहा है। ग्राहकी कम हो गई है। सामान पर धूल ही धूल जमी है। जिससे लाखों रुपए का माल बर्बाद हो रहा है।

दिनभर मास्‍क लगाओ, छींक छींककर हालत पस्‍त : इसी तरह दुकान संचालित करने वाली व्‍यापारी वैदिका शर्मा ने बताया कि पूरी दुकान धूल और मिट्टी से पट गई है। आप खुद ही देख लो क्‍या हालात हैं। उन्‍होंने बताया कि दिनभर मास्‍क लगाकर बैठना पड़ता है। छींक- छींककर हालत खराब हो गई है। लोग सड़क से गुजर नहीं पाते हैं, रेंग रेंगकर लोग चलते हैं, गाडियों से पत्‍थर और गिट्टी उड़कर आसपास लगते हैं। आए दिन लोग गिरते रहते हैं। इसी तरह यहां के कई व्‍यापारियों के लिए सड़क की ये धूल मुसीबत बन गई है।

हेल्‍थ का कबाड़ा कर रही इंदौर की धूल
शहर में बढ़े डस्‍ट एलर्जी के मरीज : इंदौर के जाने माने एमडी मेडिसिन, जनरल फिजिशियन डॉक्‍टर प्रवीण दानी ने वेबदुनिया को बताया कि दिवाली के बाद से अस्‍थमा, वायरल फीवर कई तरह की एलर्जी के मरीज बढ़ गए हैं। वायरल के दौरान जो खांसी आ रही है, वो दवा देने के बाद भी बंद नहीं हो रही है। वहीं, नाक और आंख की एलर्जी के मरीज बहुत बढ़ गए हैं। नाक बहना या बंद हो जाना, आखों में तेज जलन, लाल होना और पानी आना यह सब डस्‍ट एलर्जी की वजह से हो रहा है। डॉ दानी ने बताया कि इन दिनों ज्‍यादातर मरीज आंख और नाक की एलर्जी के आ रहे हैं।

इंदौर के जाने माने आई केयर स्‍पेशलिस्‍ट डॉ बिरेंद्र झा ने बताया कि उनके हॉस्‍पिटल में आंखों के मरीजों की संख्‍या में इजाफा हुआ है। आंखों में इन्‍फेक्‍शन, जलन, पानी आना और आंखों का लाल हो जाना यह सब डस्‍ट एजर्ली की वजह से हो रहा है। उनके पास ऐसे रोजाना 20 से 25 मरीज आ रहे हैं।

एक महीने तक नहीं जा रही खांसी : डॉ समीर वैद्य ने बताया कि अभी उनके पास सांस जैसे दमा और एलर्जी के मरीज में बहुत इजाफा हुआ है। यह सब स्‍मोक की वजह से हो रहा है। इसमें सांस फूलती है और फेफडे में से सीटी की आवाजें आती हैं। बुखार और खांसी भी हो रही है। खांसी तो एक महीने तक नहीं जा रही है।

पूरे एमपी में हालात खराब : अगर इंदौर समेत मध्‍यप्रदेश के दूसरे शहरों की बात करें तो कमोबेश पूरे प्रदेश में प्रदूषण और धूल कणों से हालात खराब हैं। दिवाली पर कई शहरों में प्रदूषण में 3 गुना इजाफा हुआ। इंदौर और ग्वालियर में जहां AQI 400 के पार पहुंचा तो भोपाल और उज्जैन में 300 के पार आ गया था, जबकि देवास और रतलाम जैसे छोटे शहर भी डेंजर जोन की श्रेणी में पहुंचे।

क्‍या है खतरे का पैमाना : बता दें कि मौसम विभाग द्वारा तय पैमाने के मुताबिक शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 से 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच 'मध्यम', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है।

क्‍या कहती है क्लीन एयर कैटलिस्ट' की रिपोर्ट : वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए काम करने वाले वैश्विक गठजोड़ ‘क्लीन एयर कैटलिस्ट' के एक रिपोर्ट के मुताबिक, आम दिनों में शहर में हवा की गुणवत्ता बिगाड़ने में वाहनों के प्रदूषण और सड़क पर उड़ने वाली धूल की सर्वाधिक 70 फीसद हिस्सेदारी रहती है। मौसम वैज्ञानिक और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक शहरों की आबोहवा खराब करने में दिवाली पर होने वाली आतिशबाजी और खराब व बदहाल सड़कों से उड़ने वाली धूल सबसे ज्‍यादा जिम्‍मेदार है।

इंदौर को छोड़ा लावारिस : सबसे स्‍वच्‍छ कहे जाने वाले शहर इंदौर के लाखों लोग इस प्रदूषण, खराब सड़कों और यहां से उड़ने वाली धूल का शिकार हो रहे हैं, लेकिन इंदौर के जिम्‍मेदार नेता और प्रशासन के कान पर इस बात को लेकर जूं तक नहीं रेंग रही हैं। हजारों लोग इस समस्‍याओं से दो चार हो रहे हैं। आए दिन खराब सड़कों की वजह से हादसे होते हैं। अब तो धूल धक्‍कड़ से शहर के अस्‍पतालों में मरीजों की कतारें लगने लगी हैं, लेकिन इंदौर के रहनुमाओं ने अपने शहर और यहां के नागरिकों लावारिस छोड़ दिया है।

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