भारत बन सकता है हवाई यात्रा का गेटवे

मंगलवार, 6 सितम्बर 2016 (18:46 IST)
नई दिल्ली। भारत आने वाले समय में खाड़ी के देशों की जगह पूरब और पश्चिम के बीच का द्वार बनने की पूरी क्षमता रखता है तथा इसकी भौगोलिक परिस्थितियां इस लिहाज से पूरी तरह अनुकूल हैं।
हवाई अड्डों का विकास एवं परिचालन करने वाली एशियाई कंपनियों के बुधवार से शुरू हो रहे सम्मेलन जीएडी-एशिया के बारे में बताते हुए विमानन क्षेत्र के विशेषज्ञ प्रो. रिगस डोगैनिस ने आज यहां कहा कि खाड़ी के देशों के जरिए यूरोप से चीन या सिंगापुर जाने का रास्ता लंबा है। भारत होकर यह रास्ता छोटा हो जाता है। भौगोलिक रूप से देखा जाए तो भारत ही पूरब और पश्चिम के बीच का द्वार बनने के लिए उपयुक्त देश है।
 
श्री डोगैनिस ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पिछले दिनों जारी नयी नागरिक उड्डयन नीति से उड्डयन क्षेत्र तेजी से बढ़ेगा। लेकिन, भारत को गेटवे बनाने के लिए एयरलाइंसों को भी अपनी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बढ़ानी होंगी। उन्हें ज्यादा से ज्यादा देशों के साथ संपर्क बढ़ाना होगा, तभी यह संभव है।
 
उन्होंने कहा कि दुनिया में इस समय जितने हवाई अड्डे बन रहे हैं उनमें 52 प्रतिशत एशिया में बन रहे हैं। इसमें भारत की हिस्सेदारी काफी ज्यादा है। पिछले 15-16 साल में भारत में उड्डयन क्षेत्र के विकास की गति बहुत ज्यादा रही है। इसलिए, जीएडी सम्मेलन के लिए पहली बार भारत को चुना गया है।
 
तीन दिन तक चलने वाले सम्मेलन में 25 देशों के प्रतिनिधियों के शामिल होने की उम्मीद है। इसमें हवाई अड्डों का परिचालन करने वाली कंपनियों के अलावा हवाई सेवा कंपनियों तथा सरकारी प्रतिनिधियों की भी शिरकत होगी। 
 
डेल्ही इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आई. प्रभाकर राव ने कहा कि सम्मेलन में संभावित निवेशक भी हिस्सा ले रहे हैं जिससे भारतीय विमानन क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय निवेश का रास्ता भी खुलेगा। (वार्ता)

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