Cold and cough: देशभर में सर्दी-खांसी के मामले बेतहाशा इजाफा हो रहा है। अस्पतालों में सर्दी-खांसी और बुखार के मामलों के लिए मरीजों की भीड़ बढ़ती जा रही है। खास बात है कि खांसी और सर्दी लंबे समय तक रह रही है। जिन लोगों को लंबे वक्त से सर्दी और कफ बना हुआ है और ठीक नहीं हो रहा है, उनके कानों में भी दिक्कत हो रही है।
वेबदुनिया ने कुछ प्रमुख ईएनटी स्पेशलिस्ट से चर्चा की और जाना कि आखिर कैसे एक मामूली सी सर्दी मरीज के कान के पर्दों को भी नुकसान पहुंचा सकती है। डॉक्टरों ने ऐसे मामलों में बेहद सतर्कता बरतने की सलाह दी है।
आखिर क्या हो रहा है : दरअसल, सर्दी और जुकाम मौसमों में होने वाली आम बीमारियां हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से इनके पैटर्न में बदलाव आया है। जिन लोगों को सर्दी-जुकाम हो रहे हैं उन्हें अब कानों में भी तकलीफ हो रही है। डॉक्टरों का तो यहां तक कहना है कि अगर समय पर और ठीक से इलाज नहीं कराया गया तो हो सकता है मरीज के कान के पर्दें ही डैमेज हो जाए। हालांकि आमतौर पर सर्दी-जुकाम कान और आंखों पर असर तो डालते ही हैं। लेकिन अगर ये असर बढ़ जाए तो घातक भी साबित हो सकता है।
क्या कहते हैं डॉक्टर्स : इंदौर के जाने-माने ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ अरविंद किंगर ने वेबदुनिया को बताया कि सर्दी-खांसी यूं तो एक आम मौसमी बीमारी है, लेकिन कई बार ये घातक सिद्ध हो सकती है। उन्होंने बताया कि मौसमी सर्दी तक तो ठीक है, लेकिन अगर ये बार-बार हो रही है तो घातक हो सकती है। क्योंकि बार-बार की सर्दी से कफ बढ़ सकता है और ये ब्लॉकेज कर सकता है। इससे कानों में सुनाई देना कम हो सकता है। कानों में संक्रमण हो सकता है। डॉ किंगर ने बताया कि कान के परदे की कैविटी में पस पड़ सकता है और यह पस कान के परदे को नुकसान पहुंचा सकता है। यानी डैमेज कर सकता है। ऐसे में किसी भी तरह की सर्दी हो उसका समय पर इलाज लेना जरूरी है। इलाज में देरी नहीं की जाना चाहिए, खासतौर से उन लोगों को जिन्हें बार बार सर्दी होती है।
निजी और सरकारी में बढ भीड़: इंदौर की बात करें तो यहां निजी और सरकारी अस्पतालों और क्लिनिकों में डॉक्टरों के पास लगातार मरीजों की भीड़ बढ रही है। जनरल फिजिशियन डॉ प्रवीण दाणी ने वेबदुनिया को बताया कि इस बार मरीजों की संख्या में सर्दी-खांसी के मामले ज्यादा आ रहे हैं। हालांकि सर्दी 4 से 5 दिनों ठीक हो जाती है। खांसी के कुछ मामले ऐसे जरूर हैं, जिनमें मरीजों को ठीक होने में समय लग रहा है। मरीजों को चाहिए कि सर्दी खांसी को मामूली न समझकर समय पर इसका इलाज करवाएं।
क्या खतरे हो सकते हैं?
सर्दी-जुकाम में जो खतरे हो सकते हैं वो इस प्रकारहै।
कफ होने पर चक्कर आना
बार- बार होने वाली सर्दी से ब्लॉकेज हो सकता है।
कानों से सुनाई देना कम होना।
कान में किसी तरह का इन्फैक्शन हो सकता है।
कान के परदे की कैविटी में पस पड सकता है।
पस होने से कान के परदे डैमेज हो सकता है।
सर्दी-जुकाम में समय पर ट्रीटमेंट लिया जाना चाहिए।
गंभीर सर्दी के मरीज को हवाई यात्रा नहीं करना चाहिए।