आदिपुरुष पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति प्रकाश सिंह की अवकाशकालीन पीठ ने कहा, 'मान लीजिए, कुरान पर एक छोटी डॉक्यूमेंट्री बनाई जाती। क्या आप सोच सकते हैं कि उससे किस प्रकार कानून व्यवस्था की गंभीर समस्या खड़ी हो जाती? लेकिन हिंदुओं की सहिष्णुता के कारण ही चीजें फिल्मकारों की भयंकर भूलों के बाद भी विद्रूप रूप नहीं लेती हैं।'
अदालत ने कहा कि रामायण, कुरान या बाइबिल पर विवादित फिल्में बनाई ही क्यों जाती हैं, जो लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाती हैं।
अदालत ने फिल्म को मंजूरी देने वाले सेंसर बोर्ड के सदस्यों को फटकार लगाते हुए कहा, वह लोग धन्य हैं, जिन्होंने फिल्म देखकर उसे सर्टिफिकेट जारी किया।