Mathura Shahi Idgah news : मथुरा शाही ईदगाह मस्जिद मामले पर शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए ईदगाह को विवादित ढांचा मानने से इनकार कर दिया। अदालत ने हिंदू पक्ष की याचिका खारिज कर दी। इस फैसले से हिंदू पक्ष को बड़ा झटका लगा है।
हिंदू पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने कोर्ट से मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने की मांग की थी, जिस पर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मौजूद तथ्यों और याचिका के आधार पर ईदगाह को फिलहाल विवादित ढांचा घोषित नहीं किया जा सकता।
उन्होंने अपनी याचिका में दावा किया था कि यहां पहले मंदिर था। आज तक शाही ईदगाह मस्जिद पक्ष न्यायालय में वहां पर मस्जिद होने का कोई साक्ष्य पेश नहीं कर सका। न खसरा खतौनी में मस्जिद का नाम है, न नगर निगम में उसका कोई रिकॉर्ड है। कोई टैक्स भी नहीं दिया जा रहा है। शाही ईदगाह प्रबंध कमेटी के खिलाफ बिजली चोरी की रिपोर्ट भी हो चुकी है। फिर इसे मस्जिद क्यों कहा जाए?
उल्लेखनीय है कि हिंदू पक्ष ने शाही ईदगाह ढांचा हटाने के बाद जमीन का कब्जा लेने और वहां मंदिर बहाल करने के लिए 18 मुकदमे दाखिल किए हैं।
इससे पूर्व, एक अगस्त, 2024 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हिंदू पक्षों द्वारा दायर इन मुकदमों की पोषणीयता (सुनवाई योग्य) को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी थी।
अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि ये मुकदमे समय सीमा, वक्फ अधिनियम और पूजा स्थल अधिनियम, 1991 से बाधित नहीं हैं। पूजा स्थल अधिनियम 15 अगस्त, 1947 को मौजूद किसी भी धार्मिक ढांचे की स्थिति को परिवर्तित करने से रोकता है।
अदालत ने 23 अक्टूबर, 2024 को श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में 11 जनवरी, 2024 के आदेश को वापस लेने की मुस्लिम पक्ष की अर्जी खारिज कर दी थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 11 जनवरी, 2024 के अपने निर्णय में हिंदू पक्षों की ओर से दायर सभी मुकदमों को समेकित कर दिया था।
यह विवाद मथुरा में मुगल सम्राट औरंगजेब के समय की शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है जिसे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म स्थान पर एक मंदिर को कथित तौर पर ध्वस्त करने के बाद बनाया गया है।