श्रीनगर। अमरनाथ यात्रियों पर हुए आतंकवादी हमले में सात श्रद्धालुओं की मौत हो गई, लेकिन दूसरी ओर खबर यह भी है कि आतंकियों के निशाने पर अमरनाथ श्रद्धालु नहीं थे बल्कि वे सुरक्षाकर्मी थे जो नेशनल हाईवे पर ड्यूटी में लगे होते हैं या फिर अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा हेतु सड़क मार्ग को सुरक्षित बनाने में जुटे होते हैं।
कश्मीर पुलिस के महानिरीक्षक मुनीर खान भी खुद मानते हैं कि आतंकियों ने करीब सवा आठ बजे पहले खन्नाबल स्थित सुरक्षाबलों के बंकरों पर हमले बोले थे। जवाबी कार्रवाई हुई तो वे बटींगू की ओर निकल भागे। भागते समय मोटर साइकिल पर सवार आतंकी, जिनकी संख्या चार से पांच बताई जा रही है, अंधाधुंध गोलियां बरसाते गए थे और इसी गोलीबारी में ‘बेपरवाह’ गुजरात के ओम ट्रैवल्स की बस जीजे09 जेड 9976 क्रास फायर में जा फंसी, जो बिना किसी अनुमति के और सभी नियमों की ‘धज्जियां’ उड़ाते हुए जम्मू की ओर बढ़ रही थी। हालांकि अभी इसकी जांच चल रही है कि कैसे इस यात्री बस को रात के समय नेशनल हाईवे पर जाने दिया जा रहा था, जबकि सोनामार्ग से खन्नाबल चौक तक के अपने सफर में इस बस ने कई सुरक्षा जांच चौकियों को पार किया था।
अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वाले वाहनों के लिए यह सख्त निर्देश हैं कि वे रात सात बजे के बाद नेशनल हाईवे पर सफर न करें और उससे पहले किया जाने वाला सफर भी सुरक्षाबलों की टुकड़ियों के साथ किया जाए। पर इन सब निर्देशों की इस बस में सवार लोगों ने परवाह नहीं की। हालांकि बस में सवार लोगों का कहना था कि बस का टायर पंक्चर हो गया था जिस कारण श्रीनगर से निकलने में उन्हें दो घंटे की देरी हो गई थी जबकि चौंकाने वाली बात यह है कि यह बस न ही अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के साथ पंजीकृत थी और न ही सुरक्षाबलों के पास। नतीजा सामने है। दो दिन पहले अमरनाथ के हिमलिंग के दर्शन कर श्रीनगर में घुमने वाले इन श्रद्धालुओं को अपनी छोटी सी गलती का इतना बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा है।
इस यात्री बस पर गोलियां बरसाने वाले आतंकियों को भी शायद गुमान नहीं था कि इसमें अमरनाथ श्रद्धालु सवार हो सकते हैं। जानकारी के लिए श्रीनगर-जम्मू नेशनल हाईवे पर आतंकियों के निशाने अक्सर सुरक्षाबलों के काफिले होते हैं। एक और जानकारी यह है कि पिछले कई सालों से सेना व अन्य सुरक्षाबल प्रायवेट यात्री बसों का इस्तेमाल अपने जवानों को लाने ले जाने में करते हैं जिस कारण अक्सर धोखे में प्रायवेट यात्री बसें भी आतंकी हमलों का शिकार हो जाती हैं।
आतंकियों ने इस यात्री बस पर हमला बोलने के बाद आगे कुछ दूरी पर अरवानी में स्थित केरिपुब की 90वीं बटालियन के बंकरों पर भी हमला बोला और अंधेरे का लाभ उठाकर भाग खड़े हुए थे। इतना जरूर था कि दो स्थानों पर हुए आतंकी हमलों के बाद भी किसी भी फोर्स ने उनका पीछा करने का प्रयास नहीं किया।
पुलिस अधिकरी भी कहते हैं कि अगर सच में आतंकियों का निशाना अमरनाथ यात्री होते तो मरने वालों की संख्या बहुत ज्यादा होती। दरअसल भागते समय आतंकियों ने बस के एक ही तरफ से गोलियां बरसाईं थी जबकि अतीत में सुरक्षाबलों के काफिलों पर किए जाने वाले हमलों में देखा गया है कि आतंकी यात्री बसों को चारों ओर से घेर कर हमले बोलते रहे हैं।