अमरनाथ श्रद्धालुओं पर 'तिहरा' खतरा, यात्रा 29 जून से

सुरेश एस डुग्गर
श्रीनगर। 29 जून से शुरू हो रही वार्षिक अमरनाथ यात्रा को तिहरे खतरे के दौर से गुजरना होगा। एक खतरा अलगाववादियों की अवधि कम करने की मुहिम का है तो दूसरा खतरा आतंकी गठजोड़ के हमलों का भी है।
 
ताजा खतरा मौसम का भी है, जिसके यात्रा में विलेन की भूमिका निभाए जाने की आशंका जताई जाने लगी है। हालांकि अलगाववादी नेता सईद अली शाह गिलानी ने स्पष्ट किया है कि अमरनाथ यात्री उनके मेहमान हैं पर पिछले हफ्ते दक्षिण कश्मीर में संयुक्त तौर पर हमला करने वाले लश्करे तौयबा तथा जैश-ए-मुहम्मद के गठजोड़ के इरादे ठीक नहीं लग रहे हैं।
 
सेना ने इसके प्रति रहस्योद्‍घाटन किया है कि आतंकी अमरनाथ यात्रा पर हमले कर सकते हैं। सुरक्षा एजेंसियों की बैठक में यह चेतावनी सेनाधिकारियों ने देकर सभी को चौंकाया जरूर है। दरअसल उनकी चेतावनी ऐसे समय में आई है जब कश्मीर में आतंकवाद की कमर तोड़ने का दावा भी किया जा रहा है।
 
अधिकारियों के बकौल, सेना की इस चेतावनी के उपरांत अमरनाथ यात्रा के सुरक्षा प्रबंधों की फिर से समीक्षा किए जाने के साथ-साथ सुरक्षा प्रबंधों के लूप होलों को मजबूत किया जा रहा है। हालांकि इस बार सुरक्षा एजेंसियों की परेशानी यह है कि केंद्र सरकार यात्रा के लिए उतने सुरक्षाबल देने को फिलहाल राजी नहीं है जितने की मांग हालात के अनुसार की जा रही है। तकरीबन दो लाख सैनिकों की मांग इस बार अमरनाथ यात्रा की सकुशलता के लिए की गई है।
 
ऐसे में सुरक्षाबलों के लिए भी अमरनाथ यात्रा को लेकर दोहरे मोर्चे पर निपटना आसान नहीं लग रहा है। आतंकी खतरे के साथ-साथ अलगाववादियों के आह्वान पर बंद-हड़तालों और पत्थरबाजों का खतरा भी यात्रा पर मंडरा रहा है।
अलगाववादी यात्रा की अवधि कम करवाना चाहते हैं। इसके लिए वे कश्मीर में अनिश्चिकालीन बंद की धमकी दे रहे हैं। अलगाववादी नेताओं के इशारों पर पत्थरबाज अमरनाथ यात्रियों को नुक्सान पहुंचा सकते हैं। ऐसी आशंका सुरक्षा एजेंसियां भी व्यक्त कर रही हैं। ऐसा ही वे पिछले साल भी कर चुके हैं जिस कारण कई अमरनाथ श्रद्धालु जख्मी भी हो गए थे और यात्रा भी प्रभावित हुई थी।
 
इन दो खतरों के बीच मौसम के प्राकृतिक खतरे को कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता। मौसम विभाग के अनुसार, इस बार मौसम पूरी तरह से अमरनाथ यात्रा में विलेन की भूमिका निभा सकता है। इस बार मौसम की परेशानी इसलिए भी है क्योंकि मानसून समय से पहले पहुंच गया है और कश्मीर में वैसे भी पिछले कई साल से बाढ़ का खतरा लगातार मंडरा रहा है और आए दिन होने वाली बारिशें सबके लिए परेशानियां पैदा कर रही है।

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