अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर की समस्या के लिए पंडित नेहरू की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया

Webdunia
शुक्रवार, 28 जून 2019 (22:51 IST)
नई दिल्ली। गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर की समस्या के लिए प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार जम्मू-कश्मीर की जनता की भलाई, लोकतंत्र कायम रखने और आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने को प्रतिबद्ध है।
 
जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने के सांविधिक प्रस्ताव पर लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृहमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की जनता का कल्याण हमारी 'प्राथमिकता' है और उन्हें ज्यादा भी देना पड़ा तो दिया जाएगा, क्योंकि उन्होंने बहुत दु:ख सहा है।
 
गृहमंत्री ने कश्मीर की वर्तमान स्थिति को लेकर प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि उन्होंने (पंडित नेहरू) तब के गृहमंत्री एवं उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को भी इस विषय पर विश्वास में नहीं लिया। उन्होंने सवाल किया कि जब आजादी के बाद पाकिस्तान की ओर से राज्य में आक्रमण हुआ और हमारी सेना पूरी ताकत से आगे बढ़ रही थी, तब किसने संघर्षविराम किया?
 
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी सहित पार्टी के अन्य सदस्यों ने इसका विरोध किया। इस पर अमित शाह ने कहा कि उस भूल के कारण ही आज हम सजा भुगत रहे हैं। उस भूल के कारण ही हजारों लोग मारे गए। जरूर नाम लेंगे (पंडित नेहरू का)। ये इतिहास का हिस्सा है। शाह ने कहा कि तब 630 रियासतों के साथ संधि हुई थी लेकिन अनुच्छेद 370 कहीं नहीं है। एक रियासत जम्मू-कश्मीर पंडित नेहरू देख रहे थे और स्थिति सबके सामने है।
 
शाह ने कहा कि हम इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत की नीति पर चल रहे हैं। जहां तक जम्हूरियत की बात है तो जब चुनाव आयोग कहेगा तो तब शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव कराए जाएंगे। आज वर्षों बाद ग्राम पंचायतों का विकास चुनकर आए पंच और सरपंच कर रहे हैं, ये जम्हूरियत है। गृहमंत्री ने कहा कि कश्मीरियत खून बहाने में नहीं है। कश्मीरियत देश का विरोध करने में नहीं है। कश्मीरियत देश के साथ जुड़े रहने में है। कश्मीरियत कश्मीर की भलाई में है। कश्मीर की संस्कृति को बचाने में है।
 
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए गृहमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की अवाम और भारत की अवाम के बीच एक खाई पैदा की गई, क्योंकि पहले से ही भरोसा बनाने की कोशिश ही नहीं की गई। शाह ने कहा कि जहां तक अनुच्छेद 370 है, ये अस्थायी है, स्थायी नहीं। 370 हमारे संविधान का अस्थायी मुद्दा है। जो देश को तोड़ना चाहते हैं, उनके मन में डर होना चाहिए। जम्मू-कश्मीर की अवाम के मन डर नहीं होना चाहिए।
 
अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार आने के बाद आतंकवादियों से कड़ाई से निबटा गया। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी आज देश के विभाजन पर सवाल उठा रहे हैं। मैं इनसे पूछना चाहता हूं कि देश का विभाजन किसने किया था? आज कश्मीर का एक तिहाई हिस्सा भारत के पास नहीं है, ऐसा किसके कारण हुआ?
 
चर्चा में भाग लेते हुए तिवारी ने देश के विभाजन की स्थिति का उल्लेख किया और कहा कि हमारी सरकार ने भाजपा सरकार को शांत एवं सुरक्षित कश्मीर सौंपा था। शाह ने कहा कि हम कश्मीर की अवाम की चिंता करने वाली सरकार हैं। आज तक पंचायतों को पंच और सरपंच चुनने का अधिकार ही नहीं दिया गया था।
 
शाह ने कहा कि सिर्फ 3 ही परिवार इतने साल तक कश्मीर में शासन करते रहे। ग्राम पंचायत, नगर पंचायत सबका शासन वही करे और सरकार भी वही चलाए, ऐसा क्यों होना चाहिए? गृहमंत्री के जवाब के बाद सदन ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाने संबंधी सांविधिक प्रस्ताव और जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक 2019 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी।
 
इससे पहले चर्चा में कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने जम्मू-कश्मीर की वर्तमान समस्या का मूल कारण 2015 में हुए भाजपा-पीडीपी के 'बेमेल गठबंधन' को बताया था। चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह और भाजपा की पूनम महाजन ने कहा कि पंडित नेहरू ने कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठाकर इस मामले का अंतरराष्ट्रीयकरण किया। (भाषा)

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