जब इलेक्ट्रिक सिग्नल नहीं हुआ करते थे तब पुलिस ऑफिसर वाहनों को नियंत्रित करने के लिए अपने हाथों का प्रयोग किया करते थे। इसके बाद सन् 1920 में वायर ट्रैफिक सिस्टम इस्तेमाल किया जाने लगा और इसमें एक घंटी लगाई गई, जिसे बजाकर यह संकेत दिया जाता था कि लाइट ग्रीन या रेड होने वाली है।