गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमने न्यायमूर्ति जीवन रेड्डी समिति की रिपोर्ट को खारिज करने की केंद्रीय मंत्रिमंडल को अनुशंसा की है।’ रक्षा मंत्रालय भी अधिनियम को हल्का किए जाने के किसी भी कदम के खिलाफ है और उसने कहा कि उग्रवाद उन्मुख क्षेत्रों में काम कर रहे बल 'आफस्पा' के जरिए प्रताड़ना से बचे हुए हैं।
147 पन्नों की रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी, ‘सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून, 1958 को निरस्त करना चाहिए।’ समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था, ‘चाहे जिस भी कारण से यह अधिनियम दमन का प्रतीक, घृणा की वस्तु, भेदभाव और मनमानी करने का औजार बन गया है।’
समिति ने कहा था, ‘यह बेहद वांछनीय और उपयुक्त परामर्श देने योग्य है कि कानून को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाए लेकिन इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए उस क्षेत्र (पूर्वोत्तर) की जनता का एक बहुत बड़ा वर्ग चाहता है कि सेना वहां बनी रहे (हालांकि कानून हटा लिया जाना चाहिए)।’