सेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, ' हम यह सुनिश्चित करेंगे कि शिकायत करने वाले सैनिकों की पहचान गुप्त रहे। हम चाहते हैं कि सैनिक सीधे हमारे पास आएं बजाय कि सोशल मीडिया में जाने के। अगर इसके बाद भी वह असंतुष्ट रहें तो अन्य माध्यमों का इस्तेमाल करें। सोशल मीडिया एक दोतरफा हथियार है, जिसके अपने नुकसान भी हैं। मीडिया के जरिए यह संदेश मैं जवानों तक पहुंचाना चाहता हूं।'
उन्होंने पूर्वी सेना कमांडर (बक्शी साहब) के मामले में कहा, 'हम दोनों ही ने आपस में बात की थी, उन्होंने मुझसे कहा था कि मैं इस निर्णय को स्वीकार करता हूँ और सेना में कार्य करता रहूंगा। अगर इससे इतर किसी जांच की ज़रूरत होगी तो हम करेंगे।'
जनरल रावत ने कहा कि गत सितंबर में की गई सैन्य कार्रवाई का मकसद यह था कि पाकिस्तान को यह संदेश दिया जाए कि यदि वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है तो सेना उसकी नापाक हरकतों का जवाब देने में सक्षम है तथा सैन्य कार्रवाई के बाद सीमापार से शांति के संदेश मिले हैं तथा भारत भी चाहता है कि सीमा पर संघर्षविराम उल्लंघन की घटनाओं पर रोक लगे।