भारत की सरकारी तेल कंपनियों ने रोकी रूसी कच्चे तेल की खरीद! ट्रंप की धमकी का असर या...

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

शुक्रवार, 1 अगस्त 2025 (17:33 IST)
Indian government oil companies stopped buying Russian crude oil: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की धमकी के बाद भारत की सरकारी तेल कंपनियों ने रूस से कच्चे तेल की खरीद अस्थायी रूप से रोक दी है। ट्रम्प ने सत्ता में वापसी की स्थिति में रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी थी। इस निर्णय से भारत के ऊर्जा क्षेत्र में बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। दूसरी ओर, ट्रंप की यह खतरनाक चाल भारत और रूस के बीच दूरी भी पैदा कर सकती है।  
 
अमेरिकी प्रतिबंधों पर क्या बोला विदेश मंत्रालय : इस बीच, ईरान के साथ व्यापार करने वाली भारतीय कंपनियों पर अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाने की घोषणा पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हमने प्रतिबंधों पर ध्यान दिया है और हम इस पर विचार कर रहे हैं। हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान पर कि भारत एक दिन पाकिस्तान से तेल खरीद सकता है, इस पर जायसवाल चुप्पी साध गए। रूस से संबंधों पर रणधीर जायसवाल ने कहा कि किसी भी देश के साथ हमारे संबंध उसकी योग्यता पर आधारित हैं और उन्हें किसी तीसरे देश के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। जहां तक भारत-रूस संबंधों का सवाल है, हमारे बीच एक स्थिर और समय-परीक्षित साझेदारी है।
 
ट्रम्प की चेतावनी और भारत का फैसला : रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन (IOCL), भारत पेट्रोलियम (BPCL), हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HPCL) और मैंगलोर रिफाइनरी (MRPL) ने पिछले एक सप्ताह में रूस से कच्चा तेल खरीदने का कोई नया ऑर्डर नहीं दिया है। ये कंपनियां अब अबू धाबी, पश्चिम अफ्रीका और अमेरिका से तेल आयात के वैकल्पिक स्रोत तलाश रही हैं।
 
ट्रम्प ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर भारत को आड़े हाथों लिया था। उन्होंने लिखा कि भारत दुनिया में सबसे ऊंचे टैरिफ लगाता है, फिर भी रूस से सस्ता तेल खरीदता है। अगर भारत ने ऐसा जारी रखा, तो हम उस पर 25% आयात शुल्क लगाएंगे। ट्रम्प ने भारत पर रूस का 'सबसे बड़ा समर्थक' होने का आरोप भी लगाया, जिसे उन्होंने अमेरिकी हितों के खिलाफ बताया।
 
भारत सरकार का रुख : भारत सरकार ने इस मामले पर आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विविध आपूर्तिकर्ताओं के साथ व्यापार करता है। अमेरिका के साथ हमारे व्यापारिक संबंध मजबूत हैं और हम निष्पक्ष व संतुलित समझौते की दिशा में काम कर रहे हैं। हालांकि, सरकार की तरफ से रूसी तेल खरीद पर रोक को लेकर कोई अधिकरिक जवाब नहीं आया है।
 
रूस से तेल आयात का आंकड़ा : रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने रियायती दरों पर रूस से कच्चा तेल खरीदना शुरू किया था। भारत रोजाना लगभग 14 लाख बैरल तेल आयात करता था, जो उसके कुल तेल आयात का 35% था। इस रणनीति से भारत के तेल आयात बिल में कमी आई और रिफाइनरियों को अच्छा मुनाफा हुआ।
 
निजी कंपनियां अब भी खरीद रही हैं रूसी तेल : हालांकि सरकारी कंपनियों ने रूसी तेल की खरीद रोक दी है, लेकिन रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी जैसी निजी कंपनियां अभी भी रूस से तेल आयात कर रही हैं। रिलायंस की रिफाइनिंग क्षमता देश में सबसे अधिक है, लेकिन इसके उत्पादों का बड़ा हिस्सा निर्यात होता है। वहीं, सरकारी रिफाइनरियां भारत की घरेलू तेल खपत का दो-तिहाई हिस्सा आपूर्ति करती हैं।
 
पाकिस्तान को लेकर ट्रम्प का बयान : ट्रम्प ने हाल ही में पाकिस्तान के साथ तेल समझौते पर बयान देते हुए कहा कि पाकिस्तान के साथ हमारी बातचीत जारी है। हो सकता है एक दिन वह भारत को तेल बेचे। इस बयान को भारत में राजनीतिक रूप से अपमानजनक माना गया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। 
 
लेकिन रूसी तेल की खरीद रोकने से भारत के तेल आयात बिल पर असर पड़ सकता है, क्योंकि वैकल्पिक स्रोतों से तेल की कीमतें अधिक हो सकती हैं। साथ ही, ऊर्जा सुरक्षा और विदेश नीति के बीच संतुलन बनाना भारत के लिए बड़ी चुनौती होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपनी ऊर्जा रणनीति में विविधता लाने और दीर्घकालिक समझौतों पर ध्यान देने की जरूरत है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 

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