बता दें कि शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ फैसला सुनाएगी। बेंच में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं।
अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया : बता दें कि 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 विधेयक को गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में पेश किया था और इसे उसी दिन पारित कर दिया गया था। फिर इसे 6 अगस्त 2019 को लोकसभा की ओर से पारित कर दिया गया था और 9 अगस्त 2019 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी, जिससे जम्मू-कश्मीर को दिया गया विशेष दर्जा हट गया था। राष्ट्रपति के आदेश के परिणामस्वरूप अनुच्छेद 370 की क्लॉज 1 को छोड़कर सभी प्रावधान समाप्त हो गए। क्लॉज 1 में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर राज्य में भारत का संविधान चलेगा।
5 लोगों पर मामला दर्ज : बता दें कि अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सोशल मीडिया के कथित दुरुपयोग के खिलाफ एक अभियान शुरू किया है। पिछले दो दिनों में नफरत फैलाने वाली सामग्री अपलोड करने या अफवाहें फैलाने के लिए 5 लोगों पर मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले में एक कथित अफवाह फैलाने वाले के खिलाफ कार्रवाई की है। वहीं मध्य कश्मीर के बडगाम और गांदरबल जिलों में दो-दो लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई। पुलिस (Jammu and Kashmir Police) के एक प्रवक्ता ने कहा कि पुलिस ने बारामूला जिले के वानी मोहल्ला बलिहारन पट्टन निवासी अली मोहम्मद वानी के बेटे बिलाल अहमद वानी नामक शख्स के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की है।
यह कार्रवाई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उसके भड़काऊ और देशद्रोही बयानों वाले नफरत से भरे वीडियो अपलोड करने के कारण की गई है। ठीक इसी तरह बडगाम पुलिस ने अफवाह फैलाने के आरोप में दो लोगों के खिलाफ कार्रवाई की। पुलिस ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि सफापोरा निवासी वसीम मुश्ताक मलिक और नुन्नर, गांदरबल निवासी आदिल अहमद राथर को सोशल मीडिया पर नफरत भरी सामग्री फैलाने में शामिल पाया गया। जिला मजिस्ट्रेट के हाल ही में जारी आदेश के तहत दोनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है
Edited by navin rangiyal