जेटली ने यहां बिजनेस पत्रिका 'द इकोनॉमिस्ट' द्वारा आयोजित 'इंडिया सम्मिट' में कहा कि मोदी सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के जोखिम में फंसे ऋण या गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए कई उपाय किए हैं। इसी के तहत दिवालिया कानून लगाया गया और ऋणदाताओं को वसूली का अधिकार मिला है।
उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों को 70 हजार करोड़ रुपए की पूंजी दी गई है तथा सरकार और अधिक पूंजी देने के लिए तैयार है। कुछ बैंक बाजार से भी संसाधन जुटा रहे हैं। इसके साथ ही सरकार बैंकों के एकीकरण पर भी जोर दे रही है क्योंकि अधिक सरकारी बैंक की जरूरत नहीं है। कुछ ही बैंक हों, लेकिन वे मजबूत हों।