कश्मीर की स्थिति पर राजनीति न करें विपक्षी दल : अरुण जेटली

सोमवार, 18 जुलाई 2016 (17:30 IST)
नई दिल्ली। सरकार ने विपक्षी दलों से कश्मीर में उत्पन्न स्थिति के वास्तविक कारणों पर ध्यान देने की अपील करते हुए सोमवार को कहा कि वे इस संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति न करें और जहां सुरक्षा बलों को भी संयम बरतने की जरूरत है, वहीं राज्य के युवकों को भी पाकिस्तान से प्रेरित किसी आतंकवादी का महिमामंडन नहीं करना चाहिए। 
विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद द्वारा कश्मीर के हालात पर सोमवार को राज्यसभा में शुरू की गई अल्पकालिक चर्चा में हिस्सा लेते हुए सदन के नेता अरुण जेटली ने कहा कि यह सही बात है कि वहां स्थिति गंभीर है लेकिन इसे सामान्य बनाने के लिए संसद से बंटी हुई नहीं बल्कि एक स्वर में आवाज निकलनी चाहिए। 
 
आजाद ने कश्मीर में प्रदर्शनकारियों पर जरूरत से अधिक बल प्रयोग का आरोप लगाते हुए कश्मीर की स्थिति पर सर्वदलीय बैठक बुलाने तथा अधिक बल प्रयोग करने वालों की जिम्मेदारी तय करने की मांग की। 
 
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक बयानबाजियों और टेलीविजन चैनलों पर होने वाली बहसों के लिए दिशा-निर्देश भी तैयार किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आतंकवाद के खात्मे के लिए सरकार के साथ खड़ी है लेकिन कश्मीरियों के साथ बर्बर व्यवहार नहीं होना चाहिए। जेटली ने कहा, हमें ऐसे मसले पर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देखना चाहिए। इस आंदोलन से वहां के युवा अपने को अलग रखें।
 
देश के बंटवारे के वक्त से आज तक पाकिस्तान यह कभी स्वीकार नहीं कर पाया कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, इसीलिए वह आज तक किसी न किसी तरीके से कश्मीर में आग लगाता रहा। एक तरीका यह था कि दो बार युद्ध हुआ, लेकिन उससे जब कुछ हासिल नहीं हुआ तो उसने आतंकवाद का रास्ता अपना लिया।
 
जेटली ने कहा 2008 और 2010 में हिंसा का दौर हमने देखा। सुरक्षाकर्मियों के पास कोई चारा नहीं बचता, जब उन पर हमला होता है तो। घटना यह है कि सूबे की पुलिस को आतंकवादियों के बारे में जानकारी होती है और वे आतंकी को मार गिराते हैं। इस मुठभेड़ में पुलिस को भी नुकसान हुआ लेकिन यह सोशल मीडिया का जमाना है जिसका उपयोग वहां किया गया। 
 
उन्होंने कहा कि वहां जो मारा गया आतंकी है उसका प्रभाव युवाओं में था। यह हिंसा कोई गठबंधन की सरकार के कारण नहीं हुई और न ही नेताओं के भाषण के कारण। कोई भी देश यह सहन नहीं करेगा कि उसके देश में ऐसी कार्रवाई हो और वह प्रतिक्रिया न दे। 
 
जेटली ने कहा कि जम्मू-कश्‍मीर में कोई भी दल सरकार बनाने की स्थिति में नहीं था। वहां मात्र एक ही गठबंधन की सरकार बन सकती थी, जो अभी वहां मौजूद है। हम जानते हैं कि हमारे पीडीपी के साथ मतभेद थे लेकिन फिर भी हमने देश की भलाई के लिए वहां सरकार बनाई। 
 
उन्होंने कहा कि वहां गठबंधन की सरकार या टेलीविजन पर चर्चा के कारण हिंसा नहीं हो रही है। इस हिंसा का मूल कारण पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान है। पाकिस्तान ने कभी यह नहीं माना कि कश्‍मीर भारत का हिस्सा है। इस मामले को लेकर 3 बार युद्ध भी हुए जिसमें उसे हार का मुंह देखना पड़ा। जब वह भारत से परास्त होता चला गया तो उसने आतंकवाद के माध्‍यम से हमें परेशान करना शुरू किया।
 
चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा सांसद अरुण जेटली ने कहा कि मैं गुलाम नबी आजाद की बातों से सहमत हूं। वहां की स्थिति चिंता का विषय है लेकिन केवल यह सोच लेना कि यह भाजपा और पीडीपी के गठबंधन की सरकार के कारण वहां की स्थिति ऐसी, गलत है। मैं कांग्रेस के इतिहास को उलटना नहीं चाहता। समय मिले तो वे खुद उसे देख लें। 
 
अरुण जेटली ने कहा कि केवल ये सोचना कि भाजपा की पीडीपी के साथ सरकार बन गई तो इसलिए ये सब हो रहा है, ये एक राजनीतिक सोच हो सकती है। आज ये वो वक्त नहीं है कि आजाद साहब की पार्टी का इतिहास बताऊं कि उन्होंने कश्मीर के साथ किस तरह खिलवाड़ किया। (वार्ता) 

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