नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों को लेकर बहस के बीच केन्द्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि वैचारिक रूप से भले ही विघटनकारी समूहों के खिलाफ हों, लेकिन इन तत्वों ने अब राहुल गांधी के दिल में जगह बना ली है।
जेटली ने शुक्रवार को लिखी अपनी फेसबुक पोस्ट में आरोप लगाया कि कुछ अधिकारवादी संगठन भूमिगत संगठनों के सार्वजनिक मंच बन गए हैं तथा कांग्रेस एवं कुछ अन्य पार्टियों को ऐसे विघटनकारी तत्वों से समर्थन मिल रहा है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और उनके जैसी पार्टियों के राजनीतिक रोमांचकारी ऐसे समूहों में राजनीतिक अवसरों की तलाश में रहते हैं। ये मानवाधिकार संगठन दरअसल भूमिगत संगठनों का सार्वजनिक चेहरा होते हैं और उनके तंत्र में जीवन, समानता एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की कोई जगह नहीं होती है।
कांग्रेस के नेतृत्व पर हमला करते हुए जेटली ने कहा कि राहुल गांधी को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय एवं हैदराबाद में विघटनकारी नारे लगाने वालों के बीच जाने से कोई परहेज नहीं है। इस प्रकार की प्रारंभिक सफलता के बाद तमाम तथाकथित संघीय मोर्चे इस प्रकार के संगठनों से भारत एवं लोकतंत्र को खतरों को भूल गए हैं।
मानवाधिकारों के मुद्दे पर जेटली ने लिखा कि जम्मू कश्मीर में नागरिकों के मानवाधिकारों को कौन खतरा पैदा कर रहा है। समूचा पंडित समुदाय राज्य में बेदखल कर दिया गया। बाद में 2000 में छत्तीसिंहपुरा कांड में सिखों को बाहर कर दिया गया। आज ज्यादातर लोग घाटी से पलायन कर गए हैं, जो राज्य में बहुमत के समुदाय होते थे। उन्होंने कहा कि जम्मू- कश्मीर के अधिकतर मुस्लिम नागरिक भी अलगाववाद को पसंद नहीं करते हैं। (वार्ता)