इंस्टीट्यूट की मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. बबीना नंदकुमार ने बताया कि उन्हें शरीर से विषैले तत्वों की निकासी की उपचार पद्धति से गुजरना होगा, खासकर उनकी खांसी के लिए उन्हें विभिन्न तरह की उपचार प्रक्रियाओं से गुजरना होगा।
सीएमओ ने कहा कि वे यहां 10 दिनों के लिए हैं, ऐसे में हम उन्हें एक खास रूटीन पर रखेंगे ताकि वे आगे भी इसका पालन कर सकें। यदि वे वास्तव में अपने रोग को काबू में करना चाहते हैं तो यहां जो कुछ भी वे सीखते हैं, घर वापसी पर उन्हें नियमित तौर पर इसे अभ्यास में बनाए रखना होगा। (भाषा)