धर्मांतरण नहीं, दिल जीतना चाहते हैं-अशोक सिंघल

रविवार, 21 दिसंबर 2014 (15:52 IST)
नई दिल्ली। देश में हिन्दू मूल्यों को पुन:स्थापित पर जोर देते हुए विश्व हिन्दू परिषद ने रविवार को कहा कि वे विश्व का धर्मांतरण नहीं चाहते बल्कि केवल उसका हृदय विजय करना चाहते हैं।
 
विहिप के संरक्षक अशोक सिंघल ने यहां एक पुस्तक का लोकार्पण करने के अवसर पर कहा कि यह उनके 50 वर्ष के संघर्ष का परिणाम है कि हिन्दुओं ने 800 वर्ष से खोया साम्राज्य वापस पाया है।
 
उन्होंने कहा क‍ि हमारी संस्कृति और धर्म को कुचला गया और हमें संघर्ष करना पड़ा। 800 वर्ष बाद अब यह दिन आया कि हम कह सकते हैं कि हमारी एक ऐसी सरकार है, जो हिन्दुत्व की रक्षा के प्रति कटिबद्ध है। देश में शनै:-शनै: हमारे मूल्य स्थापित होंगे।
 
सिंघल ने कहा क‍ि हम एक अजेय हिन्दू समाज चाहते हैं, जो इन मूल्यों के अनुसार विश्व कल्याण के लिए काम करे...। हम कभी विश्व के धर्मांतरण के लिए बाहर नहीं गए बल्कि उनका हृदय विजय करने के लिए गए।
 
केंद्र में भाजपा सरकार की ओर इंगित करते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली में 12वीं शताब्दी में राजपूत राजाओं और पृथ्वीराज चौहान की पराजय के बाद हिन्दू एक बार फिर सत्ता में आए हैं। उन्होंने दावा किया कि विश्व पर कब्जा करने के कई शक्तियों के प्रयासों के चलते दुनिया विश्वयुद्ध के समीप आई।
 
उनके अनुसार आप इसे ऑस्ट्रेलिया और पश्चिम एशिया में देख सकते हैं। हम ‘इस्लामी आतंकवाद’ का खतरा यूरोप में देख रहे हैं। यह युद्ध समाप्त किया जा सकता है लेकिन विभिन्न शक्तियां जिस तरह से अपना प्रभुत्व स्थापित करने की होड़ में लगी हैं, इससे लगता है कि विश्वयुद्ध सुनिश्चित है।
 
विहिप नेता ने हालांकि कहा कि हिन्दू ऐसे किसी युद्ध में शामिल नहीं होंगे, क्योंकि उन्होंने हमेशा ही प्रेम से विश्व को जीतने का प्रयास किया है और वे आध्यात्मिक विजय में विश्वास रखते हैं, भौतिक विजय में नहीं। (भाषा)
 

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