दो झंडों की कहानी...

गौरव व्यास, अटारी बॉर्डर से लौटकर
 
हाल ही में मेरा अमृतसर जाना हुआ, स्वर्ण मंदिर के बाद वहां का सबसे बड़ा आकर्षण वाघा बॉर्डर और उसकी बीटिंग सेरेमनी है। वहां जाने पर पता चला कि वो तो अटारी बॉर्डर है। वाघा बॉर्डर तो पाकिस्तान की सरहद में है। पता नहीं लोग उसे वाघा बॉर्डर क्यों कहते है। अटारी गांव हिंदुस्तान की सरहद में है जबकि वाघा गांव पाकिस्तान की सीमा में है। 
 
वाघा-अटारी बॉर्डर अमृतसर से करीब 30 किमी दूर है। सेरेमनी सूर्यास्त के समय होती है, जो कि गर्मियों में अमूनन शाम 5.30 बजे का वक्त होता है और सर्दियों में थोड़ा पहले का। गेट खुलने का समय 3.30 बजे का होता है। सेरेमनी में शामिल होने की कोई फीस नहीं है और अंदर रेफ्रेशमेंट्‍स वगैरह भी उचित दाम पर उपलब्ध है।
 
वहां अंदर जाने के लिए न तो कोई टोकन सिस्टम है, न कोई एडवांस बुकिंग न ही कोई दूसरा व्यवस्थित तरीका। आपको एक पागल भीड़ का हिस्सा होना पड़ता है। बहुत ही धैर्य के साथ बहुत लंबा इंतज़ार करना पड़ता है और गेट खुलते ही सिक्योरिटी द्वार की तरफ दौड़ लगाना होती है। जैसा कि हमें पता था कि गेट 3.30 पर खुलते हैं। 
हम समय पूर्व 2.30 बजे ही वहां पहुच गए थे। चूंकि हमारे पास कोई वीआईपी पास नहीं था तो हमने हमारी गाड़ी गेट से काफी दूर एक प्राइवेट पार्किंग में 60 रुपए देकर खड़ी की। एंट्रेंस पर पहुचने के बाद, गेट खुलने का इंतज़ार करना पड़ा। पुरुषों और महिलाओं की अलग-अलग लाइन थी। पानी की बोतल बेचने वाले झूठ बोलकर पानी बेच रहे थे कि अंदर पानी नहीं मिलेगा। चूंकि गर्मी बहुत थी, तो लोग काफी सारी बोतलें खरीद रहे थे।

भीड़ बढ़ती जा रही थी, काफी सारे लोग जोशीले देशभक्ति से परिपूर्ण नारे लगा रहे थे। ऐसा लग रहा था कि अभी गेट खोल दिया गया तो सारे नारे लगाने वाले पाकिस्तान की सीमा में घुसकर एक युद्ध छेड़ देंगे। बच्चों और बुजुर्गों को उस भीड़ से अलग रखने में ही समझदारी है।

करीब 4 बजे लोगों के नारे थोड़े ठंडे पड़े और गर्मी से बेहाल लोग गार्ड से गेट खोलने के नारे लगाने लगे। थोड़ी देर में एक गार्ड गेट से ऊपर आकर बताने लगा की धीरे चलिएगा, जल्दी करने की जरूरत नहीं है। पर कोई सुनने के मूड में नहीं था।
4.30 के आसपास गेट खुला लेकिन केवल महिलाओं के लिए, पुरुष अपनी लाइन में इंतज़ार करते रहे जब तक सभी महिलाओं को प्रवेश नहीं मिल गया। अंततः सबके लिए गेट खोल दिए गए, सबने पूरी ताक़त के साथ दौड़ लगाई और सिक्यूरिटी चेक गेट के बाहर वह एक लाइन में खड़े हो गए! करीब 5 बजे सिक्यूरिटी क्लियर होने के बाद सबने स्टेडियम के लिए दौड़ लगाई। मैं भी कुछ अच्छे फोटो लेने की जुगाड़ में एक ऊंचाई वाले स्थान का चुनाव कर वहां बैठ गया। वीआईपी और महिला बॉक्स में बैठने वालों को अच्छा व्यू मिलता है।
अगले पन्ने पर, देशभक्ति गीतों ने बढ़ाया जोश...
5.15 बजे तक कोई सेरेमनी चालू नहीं हुई थी, भीड़ की बेचैनी देखते हुए बीएसएफ के एक फिजिकल ट्रेनर (PT)ने माइक संभाला और कुछ लड़कियों और महिलाओं को बीच में आमंत्रित किया और उन्हें अपना राष्ट्रीय ध्वज देकर गेट तक दौड़ के जाकर वापस आने को कहा। इस बीच देशभक्ति के बॉलीवुड़ गीत लोगों में जोश भर रहे थे। इसी बीच उन्होंने महिलाओं को बॉलीवुड गानों पर डांस करने के लिए आमंत्रित किया। फिर स्टेडियम के बीच में बहुत सारी लड़कियां और महिलाएं करीब 10-15 मिनट तक नृत्य करती रहीं। मुझे नहीं लगता कि यह सेरेमनी के हिस्सा था पर समय काटने के लिए और लोगों को बांधे रखने के लिए इसे शामिल किया गया होगा..!
 
इसी बीच जो पानी बेचने वाले बाहर यह कहकर पानी बेच रहे थे कि अंदर पानी नहीं मिलेगा वो अंदर पानी बेचने आ गए। इस तेज गर्मी में लोगों को समझ नहीं पड़ रही कि कब नारे लगाना है और कब ताली बजाना है। यह काम बीएसएफ का PT वाला कर रहा था वो बार-बार लोगो को ताली बजाने और चिल्लाने के लिए प्रेरित कर रहा था। 
उधर पाकिस्तानी बॉर्डर वाले हिस्से में भी जनता इकट्‍ठा होना शुरू हो चुकी थी। वहां भी पाकिस्तानी देशभक्ति के गाने बज रहे। 6 बजते ही दोनों देशों के द्वार खोल दिए गए, फिर दोनों देशो की परेड शुरू हुई।। सबसे पहले दोनों देशों के गार्ड्स ने एक- दूसरे का अभिवादन किया फिर परेड में दोनों देशों का चिल्लाना, ग़ुस्सा दिखाना, सिर ऊपर तक पैरों को ले जाना और सबसे अंत में दोनों देशो के झंडों को एक साथ उतारा जाना, उनको तरीके से फोल्ड करना और स्टोर में रखना बहुत ही रोमांचक दृश्य होता है। करीब 6.45 पर सेरेमनी खत्म हुई। लोग उठकर स्टेडियम से वापस अपनी गाड़ियों की और जाने लगे। बीच में वाघा-अटारी बॉर्डर की यादें सहेजने के लिए डीवीडी, कैप्स आदि कई सामान मिलते हैं, अगर लेना चाहें तो ले सकते हैं। 
 
यह एक यादगार सेरेमनी थी। बहुत ही उम्दा लाइफटाइम अनुभव था। अगर थोड़ी बेहतर बैठने की व्यवस्था और बेहतर आगंतुक प्रबंधन होता तो और मजा आ जाता। उदाहरण के तौर पर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर मेमोरियल, न्यूयॉर्क में ऑनलाइन टिकट्स मिलते हैं और एक दिन में निश्चित संख्या में लोग विजिट कर सकते हैं। उससे कार्यक्रम का आयोजन बेहतर होता है।
 
अंत में, अगर आप पंजाब जाते हैं तो अटारी-वाघा बॉर्डर सेरेमनी देखना जरूर बनता है। अगर आपको वीआईपी पास मिल जाते हैं तो इससे बेहतर कुछ नहीं और अगर नहीं भी मिले तो थोड़ी ऊपर की जगह से आपको परेड का पूरा मजा मिलेगा। रिफ्रेशमेंट की पूरी व्यवस्था है, अगर अपने वालों के लिए कुछ यादगार ले जाना हो तो आप वहां से ले सकते हैं। एक बात और वहां मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलता है तो अगर आपके साथ वाले इधर-उधर बैठे हों तो उनसे बाद में मिलने की जगह पहले ही निश्चित कर लें ताकि बाद में कोई असुविधा न हो। जय हिंदुस्तान !!!  (वीडियो और फोटो : गौरव व्यास) 

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