नई दिल्ली। याकूब मेमन को आज फांसी दिए जाने से कुछ ही समय पहले आए उच्चतम न्यायालय के फैसले पर अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने आज कहा, ‘उन परिवारों के लिए न्याय की जीत हुई, जिनके परिजनों ने 1993 के मुंबई बम धमाकों में जान गंवाई थी।’
रोहतगी ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि लंबी प्रक्रिया समाप्त हुई है। दोषी को 22 साल अवसर दिया गया था। मेमन की पुनर्विचार याचिका और दया याचिका खारिज की गई थी। उसे खुली अदालत में उसकी पुनर्विचार याचिका पर दोबारा सुनवाई का अधिकार भी मिला।’
मेमन को दिए गए अवसरों और सभी कानूनी उपायों को उसके आजमाने को स्पष्ट करते हुए रोहतगी ने कहा, ‘एक सुधारात्मक याचिका दायर की गई थी और उसे इस साल 21 जुलाई को खारिज कर दिया गया। एक नई रिट याचिका पर 27 जुलाई से कल तक सुनवाई हुई। महाराष्ट्र के राज्यपाल और राष्ट्रपति ने भी फिर से उसकी दया याचिकाएं खारिज कर दीं।
उसके बाद उच्चतम न्यायालय में मध्य रात्रि में एक नई याचिका दायर की गई और आखिरकार यह इस रूप में परिणत हुआ।’ ऐतिहासिक सुनवाई के लिए उच्चतम न्यायालय की सराहना करते हुए रोहतगी ने कहा, ‘मैं खुश हूं कि उच्चतम न्यायालय ने इस चुनौती का सामना किया। उसने मेमन जैसे कैदी की याचिका पर सुनवाई की, जो 257 लोगों की हत्या में शामिल था। यह अब भारत की सभी अदालतों के लिए रोल मॉडल है और न्याय का प्रकाशस्तंभ है।’