उन्होंने कहा कि समाज में कुछ भी नया कार्य विकास का संकेत देता है जिसमें शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं आर्थिक प्रगति शामिल है। उन्होंने कहा कि चूंकि देश की जनता अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण चाहती है, मंदिर उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुरूप बनना चाहिए।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 2010 में बहुमत के फैसले में आदेश दिया था कि जमीन को तीनों पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर बराबर बांटा जाए। उच्चतम न्यायालय ने दिसंबर 2017 में बाबरी मस्जिद ढहाने से पैदा विवाद पर अंतिम सुनवाई शुरू की थी। (भाषा)