आजम खान ने ताजमहल पर दिया विवादित बयान...

शुक्रवार, 21 नवंबर 2014 (09:31 IST)
नई दिल्ली। मुलायम की समाजवादी पार्टी के कट्टरपंथी नेता आजम खान ने सुझाव दिया कि ताजमहल और उससे होने वाली पूरी आय राज्य के वक्फ बोर्ड को सौंपी जानी चाहिए क्योंकि यह स्मारक एक मकबरा है। शहरी विकास मंत्री ने कहा, 'ताजमहल एक मकबरा है और प्रत्येक मकबरा 'वक्फ' है और वह सुन्नी केन्द्रीय वक्फ बोर्ड के तहत आता है।'

जानिए ताजमहल का सच... मकबरा या शिव मंदिर?
 
खान ने कहा, 'ताजमहल दो मुसलमानों शाहजहां और मुमताज महल का मकबरा है। वे कौन हैं, यह चर्चा का मुद्दा नहीं है क्योंकि धर्म में राजा और प्रजा सभी समान हैं।'
 
उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, 'मकबरे पर बनी इमारत दूसरा मुद्दा है, यदि यह कोई सस्ती इमारत है तो वह वक्फ बोर्ड के तहत आएगी और यदि महंगी तथा भव्य इमारत है, जिससे आय होती है तो भारत सरकार उसके पैसे लेगी।'
 
मंत्री का कहना है, '..हम चाहते हैं कि इसे सुन्नी केन्द्रीय वक्फ बोर्ड को सौंप दिया जाए ताकि वे अपना तंत्र स्थापित कर सकें, एक निजाम नियुक्त कर सकें और इससे अर्जित धन से मुसलमानों की शिक्षा की व्यवस्था कर सकें।'
 
सपा नेता ने कहा कि ताजमहल से अर्जित होने वाली राशि इतनी है कि इससे दो विश्वविद्यालय चलाए जा सकते हैं।
 
गौलतलब है कि अभी ताजमहल की देखरेख का जिम्मा एएसआई यानी आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पास है। ताजमहल में सालाना सत्तर से अस्सी लाख पर्यटक आते हैं जिनमें करीब आठ लाख विदेशी होते हैं। रोजाना सात-आठ लाख की टिकटें बिकती हैं यानी साल में 25-30 करोड़ की कमाई होती है। आजम ने ताजमहल कैंपस में बनी पांच मस्जिदों में पांच वक्त नमाज पढ़ने की भी इजाजत मांगी है।
 
फिलहाल ताजमहल पर्यटकों के लिए शुक्रवार को बंद रहता है और उसी दिन जुम्मे की नमाज पढ़ी जाती है। आजम ने आरोप लगाया है कि ज्यादा आमदनी वाली इमारतों पर केंद्र सरकार अपना अधिकार रखता है और कम आमदनी वाली इमारतों की देखभल वक्फ बोर्ड करता है। (भाषा)

वेबदुनिया पर पढ़ें