बालासोर ट्रेन हादसा : 3 ट्रेनों में कैसे हुई टक्कर? शुरुआती जांच में चौंकाने वाला खुलासा
रविवार, 4 जून 2023 (00:10 IST)
Odisha Balasore train Accident Full details in hindi : ओडिशा (Odisha) के बालासोर (Balasore) जिले में शुक्रवार को हुए रेल हादसे की जांचकर्ता मानवीय त्रुटि, सिग्नल फेल होने और अन्य संभावित पहलूओं से जांच कर रहे हैं। अधिकारियों ने इस सबसे भयावह रेल हादसे की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सौंपी है। हादसे में कम से कम 288 यात्रियों की मौत हुई और 1100 से अधिक यात्री घायल हैं। रेल हादसे की प्रारंभिक जांच में यह पता चला है कि दुर्घटनाग्रस्त हुई कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन बाहानगा बाजार स्टेशन से ठीक पहले मुख्य मार्ग के बजाय लूप लाइन पर चली गई और वहां खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई।
मोदी ने कहा- करेंगे कार्रवाई : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुर्घटनास्थल का दौरा किया और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ-साथ आपदा प्रबंधन दलों के अधिकारियों ने उन्हें जानकारी दी। उन्होंने अस्पताल में कुछ घायलों से भी मुलाकात की। मोदी ने कहा, रेल हादसे के लिए दोषी पाये जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। किसी को बख्शा नहीं जाएगा।
कब हुआ था हादसा : बालासोर जिले में शुक्रवार की शाम लगभग सात बजे शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन के पटरी से उतरने और एक मालगाड़ी से टकराने से यह हादसा हुआ। दुर्घटना में 17 डिब्बे पटरी से उतर गए और गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए, जिससे सैकड़ों यात्री फंस गए। दोनों यात्री रेलगाड़ियां तीव्र गति से चल रही थीं और विशेषज्ञों ने इसे हताहतों की अधिक संख्या के मुख्य कारणों में से एक बताया है।
खिलौनों की तरह बिखरे डिब्बे : दुर्घटना स्थल ऐसा लग रहा था, जैसे एक शक्तिशाली बवंडर ने रेलगाड़ी के डिब्बों को खिलौनों की तरह एक दूसरे के ऊपर फेंक दिया हो। मलबे को हटाने के लिए बड़ी क्रेन को लाया गया और क्षतिग्रस्त डिब्बों से शव निकालने के लिए गैस कटर का इस्तेमाल किया गया। हादसे में घायल यात्रियों को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
लूप लाइन में चली गई : रेल हादसे की प्रारंभिक जांच में यह पता चला है कि दुर्घटनाग्रस्त हुई कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन बाहानगा बाजार स्टेशन से ठीक पहले मुख्य मार्ग के बजाय लूप लाइन पर चली गई और वहां खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई।
समझा जाता है कि बगल की पटरी पर क्षतिग्रस्त हालत में मौजूद कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बों से टकराने के बाद बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के डिब्बे भी पलट ग'। एक अधिकारी ने शनिवार अपराह्न दो बजे तक उपलब्ध रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि हादसे में 288 यात्रियों की मौत हुई है। 56 घायलों की हालत गंभीर है।
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क्या बोले चश्मदीद : दक्षिण भारत में कई महीने काम करने के बाद अपने परिवार के पास लौट रहे 12864 बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस में सवार कई यात्रियों ने अचानक तेज आवाज सुनी, जिसके बाद वे अपनी सीट से गिर पड़े और बत्ती गुल हो गई। बर्धमान के रहने वाले मिजान उल हक रेलगाड़ी के पिछले हिस्से के एक डिब्बे में थे। कर्नाटक से लौट रहे हक ने कहा कि ट्रेन तेज गति से दौड़ रही थी। शाम लगभग 7 बजे तेज आवाज सुनाई दी और सबकुछ हिलने लगा। बोगी के अंदर बिजली गुल होते ही मैं ऊपर की सीट से फर्श पर गिर पड़ा।
उन्होंने कहा कि किसी तरह वह क्षतिग्रस्त कोच से बाहर निकलकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचे। हक ने हावड़ा स्टेशन पर से कहा कि यह बेहद दुखद था कि कई लोग बुरी तरह क्षतिग्रस्त डिब्बे के पास पड़े हुए थे।
पड़ी हुई लाशें : बर्धमान के निवासी और बेंगलुरू में बढ़ई के तौर पर काम करने वाले व्यक्ति ने बताया कि जिस बोगी में वह यात्रा कर रहा था, वह पलट जाने से उसकी छाती, पैर और सिर में चोट लगी। उन्होंने कहा कि हमें खुद को बचाने के लिए खिड़कियां तोड़कर डिब्बे से बाहर कूदना पड़ा। दुर्घटना के बाद हमने कई लाशें पड़ी देखीं।
हादसे में बचे लोगों के अनुसार, अनारक्षित डिब्बों में बड़ी संख्या में यात्री सवार थे और इनमें ज्यादातर प्रवासी श्रमिक शामिल थे, जो तमिलनाडु या केरल जा रहे थे।
हादसे में पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के भोमरेल गांव के रहने वाले नित्यम रे की भी मौत हो गई। उनके परिवार ने कहा कि वह कोरोमंडल एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे थे।
अपनो को ढूंढते लोग : बालासोर जिला अस्पताल और सोरो अस्पताल युद्ध क्षेत्र की तरह लग रहे थे, क्योंकि घायलों को इन्हीं अस्पतालों में ले जाया गया है। अधिकारियों ने कहा कि घायलों की मदद के लिए रात में 2,000 से अधिक लोग बालासोर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एकत्र हुए और उनमें से कई ने रक्तदान किया। अस्पताल का मुर्दाघर कफन में लिपटे शवों से भरा हुआ था और यात्रियों के व्याकुल परिजनों से खचाखच भरा हुआ था।
कवच को लेकर सवाल : विपक्षी नेताओं ने शनिवार को रेलवे द्वारा यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के महत्व पर जोर दिया। कई नेताओं ने इस हादसे में जवाबदेही तय करने और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की भी मांग की। ट्रेन हादसा रोधी प्रणाली कवच काम क्यों नहीं कर रही थी, इस पर भी सवाल उठाए गए। रेलवे ने कहा कि कवच प्रणाली मार्ग पर उपलब्ध नहीं थी।
क्या है रिपोर्ट में : प्रारंभिक रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि सिग्नल दिया गया था, फिर बंद कर दिया गया। अधिकारियों ने बताया कि रेलवे ने हादसे की उच्चस्तरीय जांच शुरू की है, जिसका नेतृत्व रेलवे सुरक्षा आयुक्त, दक्षिण पूर्व क्षेत्र करेंगे। सूत्रों ने पहले कहा था कि दुर्घटना के पीछे सिग्नल फेल होना कारण हो सकता है। रेलवे अधिकारियों ने कहा कि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि कोरोमंडल एक्सप्रेस लूप लाइन में घुसी और खड़ी मालगाड़ी से टकराई या यह पहले पटरी से उतरी और फिर लूप लाइन में प्रवेश करने के बाद खड़ी ट्रेन से टकरा गई।
प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि सिग्नल दिया गया था और ट्रेन संख्या 12841 को अप मेन लाइन के लिए रवाना किया गया था, लेकिन ट्रेन अप लूप लाइन में प्रवेश कर गई और लूपलाइन पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई और पटरी से उतर गयी। इस रिपोर्ट की एक प्रति पीटीआई के पास उपलब्ध है। रिपोर्ट के अनुसार इस बीच, (ट्रेन संख्या) 12864 डाउन मेन लाइन से गुजरी और उसके दो डिब्बे पटरी से उतर गए और पलट गए।
क्या होती है लूप लाइन : भारतीय रेल की लूप लाइन एक स्टेशन क्षेत्र में निर्मित की जाती है और इस मामले में यह बाहानगा बाजार स्टेशन है। इसका (लूप लाइन का) उद्देश्य परिचालन को सुगम करने के लिए अधिक ट्रेन को समायोजित करना होता है। लूप लाइन आमतौर पर 750 मीटर लंबी होती है, ताकि कई इंजन वाली लंबी मालगाड़ी का पूरा हिस्सा उस पर आ जाए।
क्या थी ट्रेनों की स्पीड : सूत्रों ने बताया कि कोरोमंडल एक्सप्रेस की रफ्तार 128 किलोमीटर प्रति घंटा, जबकि बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस की गति 116 किमी प्रति घंटा थी। रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को सौंपी गई है। ये रेलगाड़ियां आमतौर पर अधिकतम 130 किमी प्रति घंटे की गति तक चलती हैं। भारतीय रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा, एसई (दक्षिण-पूर्व) क्षेत्र के सीआरएस (रेलवे सुरक्षा आयुक्त) ए एम चौधरी हादसे की जांच करेंगे। अभी तक किसी भी अधिकारी ने तोड़फोड़ की आशंका की बात नहीं की है।
बचाव अभियान खत्म : भारतीय रेल के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने कहा, बचाव अभियान पूरा हो गया है। हम अब मार्ग को सुचारू करने का कार्य शुरू कर रहे हैं। इस मार्ग पर कवच प्रणाली उपलब्ध नहीं थी। रेलवे अपने नेटवर्क में कवच प्रणाली उपलब्ध कराने की प्रक्रिया में है, ताकि रेलगाड़ियों के टकराने से होने वाले हादसों को रोका जा सके।
I commend each and every person belonging to the teams of railways, NDRF, ODRAF, local authorities, police, fire service, volunteers and others who are working tirelessly on the ground and strengthening the rescue ops. Proud of their dedication.
कैसे काम करता है कवच : जब लोको पायलट (ट्रेन चालक) किसी सिग्नल को तोड़ कर आगे बढ़ता है, तो यह कवच सक्रिय हो जाता है। सिग्नल की अनदेखी करना रेलगाड़ियों के टकराने का प्रमुख कारण है। यह प्रणाली जब किसी अन्य ट्रेन को उसी मार्ग पर एक निर्धारित दूरी के अंदर होने का संकेत प्राप्त करती है, तब लोको पायलट को सतर्क कर सकती है, ब्रेक लगाती है और ट्रेन को स्वत: रोक देती है।
भुवनेश्वर में अधिकारियों ने बताया कि 1,200 कर्मियों के अलावा 200 एंबुलेंस, 50 बस और 45 सचल स्वास्थ्य इकाइयां दुर्घटनास्थल पर तैनात रहीं। अधिकारियों ने बताया कि वायुसेना ने गंभीर रूप से घायल यात्रियों को बाहर निकालने के लिए चिकित्सकीय दलों के साथ दो हेलीकॉप्टर भेजे हैं।
पश्चिम बंगाल के बैरकपुर और पानागढ़ से इंजीनियरिंग और चिकित्सा कर्मियों सहित सेना की टुकड़ियों को रवाना किया गया। एक रक्षा अधिकारी ने शनिवार को बताया कि घायल यात्रियों को निकालने के लिए दो एमआई-17 हेलीकॉप्टर को लगाया गया है।
बाल-बाल बचे मालगाड़ी चालक और गार्ड : ओडिशा में हुए रेल हादसे में दो रेलगाड़ियों के चालक और गार्ड घायल हैं और उनका विभिन्न अस्पतालों में इलाज किया जा रहा है। रेलवे के एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि हालांकि मालगाड़ी का इंजन चालक और गार्ड बाल-बाल बच गए। उन्होंने बताया कि घायलों की सूची में कोरोमंडल एक्सप्रेस के लोको पायलट और उनके सहायक के साथ-साथ गार्ड और बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के गार्ड शामिल हैं।
क्या बोले स्वास्थ्य मंत्री : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि एम्स-भुवनेश्वर के चिकित्सकों को ट्रेन दुर्घटनास्थल पर राहत कार्यों में सहायता के लिए ओडिशा के बालासोर और कटक भेजा गया है। मांडविया ने ट्विटर पर कहा, "ओडिशा में रेल दुर्घटना स्थल पर राहत कार्यों में सहायता के लिए एम्स-भुवनेश्वर के चिकित्सकों की दो टीम को बालासोर और कटक के लिए भेजा गया है।"
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ओडिशा के बालासोर में शनिवार को उस स्थल का दौरा किया, जहां शुक्रवार को भीषण रेल दुर्घटना हुई थी। उन्होंने बताया कि दक्षिण-पूर्वी प्रखंड के रेलवे सुरक्षा आयुक्त ओडिशा में हुए रेल हादसे की जांच करेंगे।
मोदी, ममता और नवीन ने किया दौरा : ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने स्थिति का जायजा लेने के लिए घटनास्थल का दौरा किया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दुर्घटनास्थल का दौरा किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने दुर्घटनास्थल का दौरा किया और राहत कार्यों का जायजा लिया। उनके साथ वैष्णव और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी थे। प्रधानमंत्री ने बालासोर अस्पताल में पीड़ितों से भी मुलाकात की।
रेलवे ने मृतकों के परिजनों के लिए 10-10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों के लिए दो-दो लाख रुपये और मामूली रूप से घायल लोगों के लिए 50-50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है।
मोदी ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये की अतिरिक्त अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। अन्य राज्यों ने भी सहायता की घोषणा की है।
कांग्रेस ने ओडिशा के बालासोर जिले में हुए भीषण रेल हादसे पर दुख जताते हुए शनिवार को कहा कि इस दुर्घटना से यह बात भी उजागर हुई है कि रेलवे में सुरक्षा हमेशा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पार्टी के सभी नेताओं को निर्देश दिया है कि वे अपने स्तर पर हरसंभव मदद करें। इनपुट भाषा Edited By : Sudhir Sharma