Supreme Court comment on government housing policy: उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि शहरी आवास नीतियों में खामियों के कारण अवैध निर्माण में वृद्धि हुई है। कोर्ट ने कहा कि अवैध निर्माण में वृद्धि का एक मुख्य कारण लोगों को किफायती दरों पर आवास उपलब्ध कराने में सरकार की विफलता है।
न्यायालय ने यह स्वीकार किया कि आवास पाने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। इसके साथ ही उसने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की आवश्यकताओं और जमीनी स्तर पर सरकार के कदमों के बीच नीतियों में बहुत बड़ा अंतर है।
बुलडोजर पर रोक : न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने ये टिप्पणियां लखनऊ के अकबर नगर में वाणिज्यिक और आवासीय इकाइयों को ढहाए जाने से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान की और इस मामले में न्यायालय ने इकाइयों को ढहाए जाने पर अंतरिम रोक लगा दी।
शहरीकरण नीतियों में खामियां : पीठ ने कहा कि आवास को लेकर रुख स्पष्ट रखना चाहिए। एक समस्या है। हमारी शहरीकरण नीतियों में खामियां हैं। वास्तव में, हमने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए कोई प्रावधान नहीं किया है। कहीं न कहीं, हमें यह सुनिश्चित करना होगा... सभी जानते हैं कि पलायन शहरों की ओर होता है। लेकिन आवश्यकताओं और हम जमीनी स्तर पर क्या करने में सक्षम हैं, इन नीतियों के बीच बहुत बड़ा अंतर है।
दिल्ली की अवैध कॉलोनियों पर भी टिप्पणी : पीठ ने कहा कि दिल्ली में इतनी सारी अनधिकृत कॉलोनियां क्यों हैं? क्योंकि डीडीए (दिल्ली विकास प्राधिकरण) को यह भी नहीं पता कि 60-70 प्रतिशत जमीन कहां है। सभी का अधिग्रहण कर लिया गया है। उच्चतम न्यायालय लखनऊ के अकबर नगर में वाणिज्यिक इकाइयों को ढहाए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एस मुरलीधर और शोएब आलम ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद 27 फरवरी को ढहाने का काम शुरू हुआ था। उन्होंने कहा कि व्यावसायिक इकाइयों के साथ-साथ आवासीय मकानों को भी गिराया जा रहा है।
क्या कहा सॉलिसिटर जनरल ने : उत्तर प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि नदी के किनारे सरकारी भूमि पर बने आवासीय मकानों को ढहाने से संबंधित मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष विचाराधीन है और फैसला सुरक्षित रखा गया है।
उन्होंने कहा कि बिना लाइसेंस या अनुमति लिए नदी किनारे सभी प्रकार के अवैध व्यावसायिक निर्माण किए गए। दलीलें सुनने के बाद, शीर्ष अदालत ने कहा कि फैसला सुनाए जाने तक, लखनऊ विकास प्राधिकरण/राज्य सरकार ढहाने की कार्रवाई नहीं करेगी। वे उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करेंगे। (भाषा)