निजी, सार्वजनिक, सहकारी और क्षेत्रीय बैंकों के करीब दस लाख अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रतिनिधि संगठन 'यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन' ने इस अवसर पर राम लीला मैदान से संसद मार्ग तक विरोध मार्च निकाला।
प्रदशर्नकारियों ने कहा कि बैकों का एनपीए बढ़ने से उनकी वित्तीय सेहत लगातार खराब हो रही है। ऐसे में सरकार को इसमें पूंजी डालनी चाहिए और बड़े कर्ज चूक कर्ताओं से वसूली के सख्त प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि एक ओर गरीबों, छात्रों और किसानों को कर्ज नहीं चुकाने पर परेशान किया जाता है तो दूसरी ओर बड़े कॉर्पोरेट घरानों को इस मामले में खुली छूट दी गई है। यह मनमानी बंद होनी चाहिए।
बैंक कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि बड़े कर्ज डूबने की भरपाई बैंक आम लोगों की जमा पर ब्याज दर घटाकर और बैंकिंग सेवाओं का शुल्क बढ़ाकर कर रहे हैं जो जन विरोधी कदम हैं। उन्होंने सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण और विलय के सरकारी प्रयासों का भी विरोध किया और कहा कि यदि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं तो वह आगे हड़ताल पर जाएंगे। (वार्ता)