ब्रिटिश काल के लोगो का इस्तेमाल क्यों करती है टीम इंडिया? : सीआईसी

रविवार, 18 जून 2017 (14:29 IST)
नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अलावा खेल और विधि मंत्रालयों से पूछा है कि भारतीय क्रिकेट टीम अब भी बीसीसीआई के उस लोगो का इस्तेमाल क्यों कर रही है, जो 'स्टार ऑफ इंडिया' सम्मान की तरह दिखता है जिसे औपनिवेशिक काल के दौरान ब्रिटिश अपने पसंदीदा राजाओं को दिया करते थे। आयोग ने कहा है कि बीसीसीआई का चिहन ब्रिटिश राज के 'स्टार ऑफ ऑर्डर' की तरह है।

सीआईसी ने पूछा कि 1857 में भारतीय स्वतंत्रता के पहले संघर्ष के बाद भारत के ऊपर अपने आधिपत्य को मजबूत करने के लिए ब्रिटिश शासकों ने वफादार भारतीय राजाओं को सम्मानित करने के लिए नाइटहुड का नया ऑर्डर शुरू किया। 1948 के बाद ऐसा कोई सम्मान नहीं दिया गया।

क्या किसी ने गौर किया कि बीसीसीआई अब भी इस औपनिवेशिक विरासत से जुड़ा हुआ है? प्रतीकात्मक रूप से और हमारी टीम अब भी इस लोगो के साथ खेलती है। सीआईसी ने सरकार से पूछा है कि वे इस लोगो को सच्चे भारतीय प्रतीक जैसे तिरंगा या 4 शेर या अशोक के धर्मचक्र या किसी अन्य जिसका फैसला वह स्वयं करे, उससे क्यों नहीं बदल देती?

आयोग ने कड़े फैसले में साथ ही सरकार से जानना चाहा है कि वह स्पष्ट करे कि लोकसभा में जवाब देने के बावजूद सरकार बीसीसीआई को आरटीआई कानून के दायरे में क्यों नहीं ला रही?

सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल की याचिका पर यह सवाल पूछा है। उन्होंने साथ ही सरकारी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे खेलों में धोखाधड़ी और मैच फिक्सिंग रोकने के लिए विधेयक की स्थिति का खुलासा करें।

सूचना आयुक्त ने साथ ही खुलासा करने को कहा है कि सरकार अंतरराष्ट्रीय पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को सम्मानित करने के लिए एक समान नीति क्यों नहीं लाती जिससे कि विभिन्न राज्य सरकारों के बीच प्रचार हासिल करने की अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा को रोका जा सके। (भाषा)

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